महाड़ चवदार सत्याग्रह और आंबेडकर की 3 क्रांतिकारी सलाहें: वर्तमान समय और इनकी प्रासंगिकता

संजय जोठे   ऐसे समय में जब हम बाबा साहब की 125 जयंती मना रहें हैं| तब उनकी चमकती हुई विरासत के कई पहलुओं को फिर से समझने की विकट आवश्यकता आन पडी है| क्रांतियों और परिवर्तन की नई शब्दावलियों में पुराने अर्थों के साथ पूरा न्याय नहीं किया जा रहा है| बहुत बार अच्छे उद्देश्यों से चलाये जा रहे […]

चुनावी दौर और आयाराम-गयाराम

नेत्रपाल, जैसे ही चुनाव का समय आता है और चुनावी हलचल तेज होने लगती है वैसे ही नेता और कार्यकर्ता पार्टियों की अदला-बदली शुरू कर देते हैं. भारतीय चुनावों का यह एक ख़ास पहलू है. हालाँकि अभी उत्तर प्रदेश के चुनावोँ में लगभग दस महीने बाकी हैं, लेकिन सभी पार्टियों ने जोर-शोर से चुनावी तैयारियां शुरू कर दी हैं. इस […]

यहां गाय और सांप मारना मना है! आदमी मारिए!

डॉ ओम सुधा पिछले दिनों हम सबने खबर सुनी कि एक दलित केवल इसलिए पीट-पीट कर मार दिया गया क्योंकि उसने अपने घर में निकले एक विषैले सांप को मार दिया था. पीटकर हत्या करने वालों का तर्क है कि सांप उनके लिए पूज्यनीय है. पिछले दिनों गाय और गोमांस के मुद्दे पर भीड़ द्वारा पीट-पीट कर हत्या कर देने […]

आरक्षण व्यवस्था और इसकी प्रासंगिकता पर सवाल उठाने वाले सवर्ण बुद्धिजीवियों से कुछ सवाल

टीकम सियाग   भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त आरक्षण व्यवस्था को लेकर आज-कल तथाकथित सवर्ण बुद्धिजीवी वर्ग अपने अपने ढंग से इसकी पुनर्व्याख्या कर रहे हैं, और इससे संबंधित बड़े-बड़े व्याख्यान देते हुए घूम रहे हैं| इनमें कुछ लोग तो यहाँ तक कह रहे है कि आरक्षण व्यवस्था की अब भारत में जरुरत नही है इसको पूर्ण रूप से समाप्त कर […]

गोहाना, दुलीना, मिर्चपुर… जुल्म की कहानी जारी है…

अरविंद शेष (Arvind Shesh) अप्रैल, 2010 में हरियाणा के हिसार जिले में मिर्चपुर गांव में बाल्मीकी बस्ती के एक कुत्ते के भौंक देने के बाद बाल्मीकि बस्ती पर वहां के जाटों ने हमला कर दिया था और कई घर फूंक डाले थे। उसमें एक विकलांग लड़की सुमन को जिंदा जला दिया गया और उसके पिता को भी। उस घटना के […]

भारतीय कैंपसों (परिसरों) में जातिवाद और जाति की कहानी – I

टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान (टीआईएसएस) मुंबई में, 22 दिसंबर 2014 को हुए अम्बेडकरवादी छात्र संघ द्वारा आयोजित वार्ता पर उनका भाषण है , इस भाषण को  वल्लिंमल करुणाकरण द्वारा लिप्यंतरित किया गया है. मेरा नाम अनूप है और मैं भारतीय कैम्पसों में दलित विद्यार्थियों के मुद्दों पर लगभग 20 सालों से काम कर रहा हूँ, पहले एक विद्यार्थी के रूप में और […]

एक दलित की चिट्ठी अमित शाह के नाम

डॉ ओम सुधा मेरे गावं घोरघट से महज एक किलोमीटर की दूरी पर एक गावं है मुरला मुसहरी | यह मुख्य रूप से दलित बस्ती है| एक जाति है मुसहर, जी हाँ मुसहर, जानते तो होंगे ना आप? नहीं बस इसीलिए पूछ रहा हूँ क्योंकि आजकल आप दलितों के घर का भोज उड़ा रहे हैं तो सोचा पूछ लूँ | […]

रोहित वेमुला और भी है……….

कण कण से अब ये रण होगा भगवा द्वंद अब कम होगा,नीला रण तगण अब होगा,मूलतत्व जब सब होगा,जितने धोखे-मृत किये,सबका हिसाब अब होगा,न होगा भगवा राह में,जब नील क्रांति का बिगुल होगा। – माहे   “रोहित वेमुला” सिर्फ अकेला नाम नही है जो इस साम्राज्यवाद, राजनीति और जातिवाद का शिकार हुआ| आज रोहित एक ऐसे अनंत सफ़र पर जा […]

मायावती और हत्शेपसुत: दो स्त्रियाँ, दो समय और दो धुरियाँ

एक हैंडबैग। एक नकली दाढ़ी । मायावती और हत्शेपसुत की मूर्तियों का हिस्सा बनने से ये दो मामूली सी लगने वाली चीज़े भी डरावने प्रतीकों में बदल जाती हैं। इन दो महिलाओं की मूर्तियों पर समाज  में अभूतपूर्व मात्रा में क्रोध ज़ाहिर किया जा चुका है।  क्या यह गुस्सा इन मूर्तियों की वजह से है , इन मूर्तियों में दर्शाया […]

आरक्षण के बारे में बात करना मैंने क्यों बंद कर दिया ?

तेजस हरड एक समय ऐसा था जब मैं आरक्षण का बहुत मुखर तौर पर प्रतिवाद करता था। मैं आरक्षण नीतियों के समर्थन में फेसबुक पर लिंक और स्टेटस अपडेट पोस्ट करता था और जो चर्चा शुरू होती थी उसमें बहुत उत्साह से भाग लेता था। जो मेरी पोस्ट और मेरे आरक्षण समर्थक रुख की निंदा करते थे, बेशक सवर्ण होते […]