जाति विनाश- एक थकाऊ और अनावश्यक प्रोजेक्ट

  संजय जोठे आर्य आक्रमण थ्योरी सही हो या न हो, इतना तो पक्का हो चला है कि मूल रूप से इस देश में श्रमणों की संस्कृति थी जो पहले गंगा यमुना के संगम के इलाके से पूर्व की तरफ फ़ैली हुई थी. बाद में बौद्ध संस्कृति के रूप में इसका विस्तार कंधार बामियान तक हुआ. ये श्रमण असल में जैन, […]