मैं दलित हूँ [एक कविता- एक घोषणापत्र]

Vidyasagar

विद्यासागर (Vidyasagar)   मैं दलित हूँ और मुझे गर्व है मेरे दलित होने पर क्योंकि मैं पला हूँ कुम्हारों के चाकों  पर,मैं पला हूँ श्मशानों के जलते राखों पर,मैं पला हूँ मुसहरों के सूखे कटे पड़े शाखों  पर।मैं दलित हूँ क्योंकिमैंने देखा है अपनी माँ को धुप से तपते हुए खलिहानों  में,मैंने देखा है अपने पिता को मोक्ष दिलवाते श्मशानों […]