पी.के. कभी नहीं कह पायेगा ‘तोहार बॉडी पर जाति का ठप्पा किधर है’

लेनिन मौदूदी (Lenin Maududi) प्रगति के समर्थक प्रत्येक व्यक्ति के लिए यह अनिवार्य है कि वह पुराने विश्वास से संबंधित हर बात की आलोचना करे, उसमें अविश्वास करे और उसे चुनौती दे. प्रचलित विश्वास की एक-एक बात के हर कोने-अंतरे की विवेकपूर्ण जाँच-पड़ताल उसे करनी होगी. यदि कोई विवेकपूर्ण ढंग से पर्याप्त सोच-विचार के बाद किसी सिद्धांत या दर्शन में विश्वास […]

विज्ञान के उपभोग में अग्रणी लेकिन दिमाग पत्थर युगी

Sanjay Jothe1

  संजय जोठे (Sanjay Jothe) कल ट्रेन में सफर के दौरान चार युवा इंजीनियर्स से बात करने का मौका मिला। चारों एक दूसरे से परिचित होते हुए अपनी पढ़ाई, कमाई, अनुभव, कम्पनी आदि का बखान कर रहे थे। जाहिर हुआ कि चारों देश की सबसे अच्छी सॉफ्टवेयर कम्पनियों में कार्यरत हैं, दो पुणे में एकसाथ है दूसरे दो मुम्बई एकसाथ […]

दलितों पिछड़ों को अपना दीपक स्वयंम बनना है

Sanjay Jothe1

  संजय जोठे धर्म, इश्वर और आलौकिक की गुलामी एक लाइलाज बिमारी है. भारत में इसे ठीक से देखा जा सकता है. कर्मकांडी, पाखंडी और अपनी सत्ता को बनाये रखने वाले लोग ऐसी गुलामी करते हैं ये, बात हम सभी जानते हैं. लेकिन एक और मज़ेदार चीज़ है तथाकथित मुक्तिकामी और क्रांतिकारी भी यही काम करते हैं. इस विषचक्र से […]