शैलेन्द्र रंगा (Shailender Ranga) मेरी कविता कड़वी कविता वो बात करे अधिकार की तेरी कविता मीठी कविता उसे आदत है सत्कार की दर्द क्यों न हो सदियों की है पीड़ा ये हर वक़्त दिखाई देता बस मनोरंजन और बस क्रीड़ा तुम क्यूँकर कहते धिक्कार की?
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शैलेन्द्र रंगा (Shailender Ranga) मेरी कविता कड़वी कविता वो बात करे अधिकार की तेरी कविता मीठी कविता उसे आदत है सत्कार की दर्द क्यों न हो सदियों की है पीड़ा ये हर वक़्त दिखाई देता बस मनोरंजन और बस क्रीड़ा तुम क्यूँकर कहते धिक्कार की?