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[smartslider3 slider=2] अनु रामदास (Anu Ramdas) कुछ समय पहले की बात है जब मैं एक शूद्र संत-कवि सरलादास द्वारा लिखित उड़िया महाभारत के अनुवाद की तलाश कर रही थी. द शेयर्ड मिरर  पर सरला की गंगा पर केंद्रित एक अंश को पोस्ट करने के लिए उत्सुक थी. इसलिए मैं पुस्तकालय और इंटरनेट पर इन पर हुई खोजों को इकठ्ठा करने […]

आप इसे भी पितृसत्ता कैसे कह सकते हैं…?

जूपाका सुभद्रा (Joopaka Subadra) जूपाका सुभद्रा की बातचीत का यह दूसरा भाग है जो उन्होंने भारत नास्तिका समाजम और साइंटिफिक स्टूडेंट्स फेडरेशन द्वारा आयोजित एक बातचीत में रखा था. — सवर्ण महिलाओं का कहना है कि वे अपने घरों में अपने बच्चों की गंदगी साफ करती हैं. फिर इन महिलाओं के बारे में क्या जो अपने घरों के बाहर सभी […]

पितृसत्ता, नारीवाद और बहुजन महिलाएं

जूपाका सुभद्रा (Joopaka Subadra)   जूपाका सुभद्रा से बातचीत का यह (पहला) भाग भारत नास्तिका समाजम और साइंटिफिक स्टूडेंट्स फेडरेशन द्वारा आयोजित एक बातचीत में उन्होंने रखा था.   आज मैं जिस विषय पर बात करने जा रही हूँ, वह है ‘पितृसत्ता, नारीवाद और बहुजन महिलाएँ’! नारीवादियों के अनुसार, नारीवाद, महिलाओं और पुरुषों के बीच, समानता को लेकर है, और, समानता के लिए है. वे कहती हैं, सभी महिलाएं […]

माहवारी से गुज़रती हैं महिलाएं, नियम चलते हैं पुरुषों के

Aarti Rani

आरती रानी प्रजापति महावारी 10-14 की आयु में शुरू होने वाला नियमित चक्र है. जिसमें स्त्री की योनि से रक्त का स्त्राव होता है. यह वह समय है जब स्त्री के शरीर में कई परिवर्तन होते हैं. महावारी सिर्फ शरीर में घट रही एक घटना नहीं है बल्कि इसका सम्बन्ध दिमाग से भी है. महावारी के समय स्त्री थकान महसूस […]

मैं एक पीडिता की मौत नहीं मरूंगी, मैं एक अग्रणी (लीडर) की तरह जीना चाहती हूँ।

मनीषा मशाल दलित महिलाओं की आवाज को किसी भी कीमत पर उठाने के लिए कटिबद्ध हूँ. क्योंकि यदि हम इन स्वरों को बाहर नहीं आने देंगे, तो हम इस दुःख को समाप्त करने के उपाय नहीं खोज सकते. क्या यह बहुत कठिन होगा? हाँ. मुझें अनेकों चुनौतियों, जोखिमों और धमकियों का सामना भी करना होगा. परन्तु मुझे किसी का भी […]

सामाजिक आंदोलन व स्त्री शिक्षा: डॉ अम्बेडकर और उनकी दृष्टि

रितेश सिंह तोमर मैं समुदाय अथवा समाज की उन्नति का मूल्यांकन स्त्रियों की उन्नति के आधार पर करता हूँ | स्त्री को पुरुष का दास नहीं बल्कि उसका साझा सहयोगी होना चाहिए | उसे घरेलू कार्यों की ही तरह सामाजिक कार्यों में भी पुरुष के साथ संल्गन रहना चाइये”| आधुनिक भारत के संविधान की प्रारूप समिति के अध्यक्ष व सम्पूर्ण […]

स्त्री गरिमा को रौंदती संस्कृति

16 दिसंबर वर्ष 2012 को दिल्ली में 23 वर्ष की युवती के साथ चलती बस में गैंगरेप की घटना से, टी.वी. चैनलों पर लम्बे समय तक, औरतों की सुरक्षा को लेकर, एक अजीब सा शोर मचा था| जिसके कारण लोगों में भयंकर रोष और गुस्से का संचार हुआ| देश के हर शहर में लोग सड़कों पर मोमबत्तियां जलाकर दोषियों को […]

आज की स्त्री, कहाँ दबी कुचली है?

  मैं पत्रकारिता की छात्रा रही हूँ| कायदे से कहूँ तो डिग्रीधारी पत्रकार हूँ , जिसने कई पत्रकारिता संस्थानों में अपने डिग्री और लेखन के बल पर कार्य भी किया है | लेकिन हर जगह नौकरी छोड़नी पड़ी । कहीं पर जातिगत मान्यताओं के चलते तो कहीं अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं करने के चलते, इनमें से कई जगहें ऐसी भी […]

बाबरी से दादरी तक

श्वेता यादव (Sweta Yadav) आज़ाद भारत जी हाँ आज़ाद भारत! सिर्फ आज़ाद ही नहीं बल्कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक देश। लोकतंत्र का जश्न मानते हुए भारत के नागरिकों को लगभग 68 वर्ष गुजर चुके हैं लेकिन आज भी कुछ सवाल जस का तस हमारे सामने मुह बाए खड़े है। समानता का अधिकार देता हमारा संविधान यह सुनिश्चित करता है […]