रचना गौतम (Rachna Gautam) मैं इन दिनों अक्सर एक सोच में पड़ जाती हूँ कि मैं कभी ‘उन’ लड़कियों की तरह क्यूँ नहीं बन पाई जिनकी त्वचा सोने-सी चमकती है? जो फैराये फिरती है अपने बालों को! जिन्हें आता है परफेक्टली ग्रूमड (perfectly groomed) और सोफिसटीकेटड (sophisticated) दिखना। जिनसे मिलने उनके प्रेमी पुणे से अमरावती तक आते थे। या जो […]
दलित स्त्रियाँ कहाँ प्यार करती हैं ?
रचना गौतम (Rachna Gautam) 1. ओ री सखी ! ओ री सखी !जब ढूँढते-ढूँढते पा जाओ शोरिले से अक्षरों में मगरूर वो चार पन्ने और पढ़कर समझ आ जाएगणित तुम्हें इस दुनिया का तो हैरान न होना बेताब न होना धीरज धरना शुन्यता के खगोल में कहीं मूक न हो जाएँतुम्हारी मास्पेशियों का बल जीवन-चालस्वप्न तुम्हारे बौद्ध तुम्हारा ! बौरा […]
मेरे प्यारे बच्चे, हमें कभी माफ मत करना!
ऋतु ‘यायावर’ (Ritu ‘Yayawar) तुम्हारी गलती सिर्फ इतनी थी कि तुमने अपनी प्यास बुझाने के लिएउनके मटके को छू लिया था खुद को ‘ऊंचा’ कहने-समझने वाले धूर्त और पाखण्डियों केमटके को छू लिया थातुम इतने मासूम थे कि नहीं समझ पाए कि यहां पानी की भी जात होती है! पर तुम्हारे असली गुनहगार तो हम हैंकि हम सब ने अपनी- […]
आप इसे भी पितृसत्ता कैसे कह सकते हैं…?
जूपाका सुभद्रा (Joopaka Subadra) जूपाका सुभद्रा की बातचीत का यह दूसरा भाग है जो उन्होंने भारत नास्तिका समाजम और साइंटिफिक स्टूडेंट्स फेडरेशन द्वारा आयोजित एक बातचीत में रखा था. — सवर्ण महिलाओं का कहना है कि वे अपने घरों में अपने बच्चों की गंदगी साफ करती हैं. फिर इन महिलाओं के बारे में क्या जो अपने घरों के बाहर सभी […]