बुद्ध धम्म दृष्टि – भाग 1 (संजय श्रमण की कलम से) संजय श्रमण जोठे (Sanjay Shraman Jothe) चार अरिय सत्य उन चार तीलियों की तरह हैं जो धम्मचक्र को उसकी धुरी से जोड़कर गतिमान रखती हैं। धम्मचक्र की धुरी ‘अनित्यता’ के दर्शन मे है, यही अनित्यता की दृष्टि जब भौतिक जगत से मनोजगत में प्रवेश कर जाती है तब ‘अनत्ता’ का […]