डॉ अंबेडकर का अंतिम निर्णय हमारा पहला निर्णय क्यों होना चाहिए?

संजय श्रमण जोठे (Sanjay Shraman Jothe) जिस तरह संस्कृति और धर्म के आयाम को बहुजनों ने अपने भविष्य की रणनीति हेतु न इस्तेमाल करके इसे पूरी तरह आर्य ब्राह्मणों के हाथों मे छोड़ा हुआ है उसी तरह एक अन्य ताकतवर आयाम है – आध्यात्मिकता और मनोविज्ञान। यहाँ आध्यात्मिकता शब्द का इस्तेमाल करने मे खतरा है लेकिन मनोविज्ञान और समाज मनोविज्ञान […]

राउंड टेबल इण्डिया के बारे में

‘अगर अछूत और दलित आवाज़ न उठाएँ, तो हिन्दुओं को उनकी हालत से कोई फर्क नहीं पड़ता है और वे पूरी तरह से उदासीन बने रहते हैं. चाहे दलित हजारों लाखों की संख्या में हों, वो कोई जहमत नहीं उठाते. लेकिन अगर अछूत खड़े हों और अस्तित्व के लिए लड़ें, तो वे उनकी पहचान नकारने के लिये तैयार बैठे रहते […]