रितु कुमारी (Ritu Kumari) मुझे बहुत गंदी बू आ रही है। भीतर से सड़े हुए एक समाज की गंदी बू, जो सबको अपनी सुरक्षा और सम्मान के लिए बराबर हक देना तो दूर, उनके साथ हुई बर्बरता को देख कर ठहाके लगाता है और अपनी आंखें मूंद लेता है। मुझे ऐसे लोगों के उच्च-जातीय दुराग्रहों और कुंठाओं से लैस होने, […]