संजय श्रमण जोठे (Sanjay Shraman Jothe) हमारे दौर मे युवाल नोवा हरारी अपनी किताबों मे इस बात को बहुत अच्छे से समझा चुके हैं कि इंसानियत के सामने वास्तविक खतरे कौन से होते हैं और इंसानियत उनसे बचने के लिए क्या क्या करती आई है। पिछले 70 सालों मे परमाणु हथियारों ने जो खतरा पैदा किया उसके नतीजे मे ग्लोबलाइज्ड […]