ज्योतिबा और डॉ. अंबेडकर में एक समानता और एक स्वाभाविक प्रवाह

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  संजय जोठे (Sanjay Jothe) ज्योतिबा फुले और अंबेडकर का जीवन और कर्तृत्व बहुत ही बारीकी से समझे जाने योग्य है. आज जिस तरह की परिस्थितियाँ हैं उनमे ये आवश्यकता और अधिक मुखर और बहुरंगी बन पडी है. दलित आन्दोलन या दलित अस्मिता को स्थापित करने के विचार में भी एक “क्रोनोलाजिकल” प्रवृत्ति है, समय के क्रम में उसमे एक […]