
लेनिन मौदूदी (Lenin Maududi)
आमतौर से अफ्रीका के लोगो को गरीब-मज़लूम, बर्बर , असभ्य दिखाया जाता है. इस फ़िल्म ने कल्पना में ही सही पर इस मान्यता को तोड़ा है. ये फ़िल्म एक बड़े डिस्कोर्स पे बनी है कि “ज़ुल्म और ज़ालिम के खिलाफ आप की तटस्ता कितनी उचित है?“
इस फ़िल्म की कहानी अफ्रीका के पांच कबीलों की कहानी है. जिन्हें एक जड़ी-बूटी मिलती है , जिसका आकर दिल की तरह होता है. उसको खाते ही इनके अंदर की क्षमता बहुत ज़्यादा बड़ जाती है , ये “superhuman” बन जाते हैं. साथ ही इनको “वाईबेरियम” नामक एक धातु मिलती है. जो दुनिया की सबसे कीमती और कठोर धातु होती है.
इस धातु और अपनी बड़ी हुई क्षमता की वजह से ये लोग न सिर्फ अफ्रीका के देशों से बल्कि पूरी दुनिया मे सबसे ज़्यादा तरक्की कर लेते हैं. वे लोग एक देश बनाते हैं “वकांडा” नाम से पर अपने देश को पूरी दुनिया से छुपा के रखते हैं.
हम जानते हैं कि अफ्रीका के लोगो पर दुनियां में सबसे अधिक ज़ुल्म हुआ , इनको गुलाम बनाया गया , मारा गया , जानवरों से ज़्यादा बुरे हालात में जीने पर मजबूर किया गया पर इन्ही की ट्राइब के ‘वकांडा‘ वासियों ने इन लोगो से कोई मतलब नही रखा क्योंकि वकांडावासी खुद को महफूज़ मानते थे.
इसलिए ये “दूसरों” के मामले से दूर रहना चाहते थे.अपने समाज मे सैकड़ों ऐसे दलित-पसमांदा मिल जाएंगे जिनकी कुछ हैसियत है पर वह अपने समाज के प्रति ‘एलियन‘ हैं. उनको कोई मतलब नही कि उन्ही की जाति-प्रजाति के साथ क्या हो रहा है? अगर कोई दूसरा अपनी जाति-प्रजाति के अधिकारों के लिए लड़ रहा है तो उससे ये लोग फ़िज़ूल इंसान समझते हैं.
फ़िल्म में आगे वकांडा का राजा T’Chaka अपने भाई N’Jobu से अमेरिका मिलने आता है और आरोप लगता है कि उसके भाई ने “वाईबेरियम” चोरी किया है.
दोनो भाइयों में बहस होती है और T’Chaka अपने भाई को मार देता है. बाद में T’Chaka का बेटा राजा बनता है जिसे “ब्लैक पैंथर” कहा जाता है (बाकी राजाओं की तरह ) इधर N’Jobu का बेटा Killmonger उससे बदला लेने आता है.
Killmonger अपने पिता की तरह ही पूरी दुनिया मे ब्लैक लोग पर हो रहे ज़ुल्म के ख़िलाफ़ एक युद्ध छेड़ना चाहता है और इस काम के लिए वह दुनिया की सबसे मजबूत धातु “वाईबेरियम” से बने हथियारों का इस्तेमाल करना चाहता है. Killmonger और ब्लैक पैंथर के बीच लड़ाई होती है और ब्लैक पैंथर उसे मार देता है. ब्लैक पैंथर Erik Killmonger से कहता है कि वह उसे बचा सकता है पर Killmonger जवाब देता है कि वह पूरी ज़िंदगी गुलाम बन के नही जीना चाहता. वह कहता है Bury me in the ocean, with my ancestors that jumped from the ships, because they knew death was better than bondage.”. इस तरह अंत तक वह अपनी विचारधारा पे कायम रहता है. वह ये मान के चलता है कि उसका तरीका भले ही गलत हो पर इसका नतीजा सही होगा. तटस्थ रहने से बेहतर है कि आप एक पक्ष लो.
ये फ़िल्म पूरी तरह ब्लैक पैंथर पे बनी है अर्थात अच्छाई की बुराई पे जीत पर Killmonger के ज़रिए हम ये समझ पाते है कि ज़ुल्म के खिलाफ पक्ष लेना जरूरी क्यों होता है? आप आम तौर से देखेंगे कि लोग तटस्थ होने का नाटक करते नज़र आएंगे. पर जब भी कोई अफवा उड़ती है तो यही लोग उसमे बड़ चढ़ के हिस्सा लेते हैं.
Whatsapp और Facebook पर दूसरे सम्प्रदाय के खिलाफ आए किसी पोस्ट को forward करने का मामला हो या मंदिर और मस्जिद की रक्षा के नाम पर सड़को पे इखट्टा होने का मामला हो. अखलाक की हत्या में गए सारे लोग क्या पहले से कातिल थे, नही, पर उनके दिमाग मे एक सम्प्रदाय के लिए नफरत थी जो ऐसे मौके पर नज़र आ जाती है. तटस्थ रहना मनुष्य का स्वभाव ही नही है इसलिए मनुष्य ने कानून और नियम बनाए ताकि तटस्थ फैसले लिए जा सकें पर कभी कभी ये कानून और नियम भी तटस्थ नही होते जैसे हिन्दू दलितों को आरक्षण प्राप्त है पर मुस्लिम दलितों(पसमांदा) को नही.
आज हम पसमांदा समाज को उसका जायज़ हक़ दिलाने की लड़ाई लड़ रहे हैं तो कई साथी इस लिए चुप रहते हैं कि उनके हिसाब से वह तटस्थ हैं जबकि वह नही हैं. जैसे इस फ़िल्म में ब्लैक पैंथर की तटस्ता वाइट लोगो के ज़ुल्म का मौन समर्थन थी.
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लेनिन मौदूदी लेखक हैं एवं DEMOcracy विडियो चैनल के संचालक हैं, लेखक हैं और अपने पसमांदा नज़रिये से समाज को देखते-समझते-परखते हैं.