दलित स्त्रियाँ कहाँ प्यार करती हैं ?

रचना गौतम (Rachna Gautam) 1. ओ री सखी ! ओ री सखी !जब ढूँढते-ढूँढते पा जाओ शोरिले से अक्षरों में मगरूर वो चार पन्ने और पढ़कर समझ आ जाएगणित तुम्हें इस दुनिया का तो हैरान न होना बेताब न होना धीरज धरना शुन्यता के खगोल में कहीं मूक न हो जाएँतुम्हारी मास्पेशियों का बल जीवन-चालस्वप्न तुम्हारे बौद्ध तुम्हारा ! बौरा […]

बाबा साहेब के अपमान पर राजकमल प्रकाशन को खुला पत्र

हिंदी भाषा की वरिष्ठ लेखिका व् दलित लेखक संघ की पूर्व अध्यक्ष अनीता भारती ने राजकमल प्रकाशन को एक पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने राजकमल द्वारा प्रकाशित एक पुस्तक ‘उसने गाँधी को क्यूँ मारा’ (लेखक अशोक कुमार पांडे) को ऐसी पुस्तक छापने जिसमें डॉ. आंबेडकर की छवि को बिगाड़ने की कोशिश की गई है, स्पष्टीकरण माँगा है. 13 नवम्बर को […]

राजनीतिक आरक्षण के अंत से सामाजिक रूप से पिछड़ी जातियों का अभ्युदय

डॉ. जस सिमरन कहल (Dr. Jas Simran Kehal) ऐसा कहा जाता है कि यदि हम अपनी गलतियों से सीखें और शोषणकर्ताओं को अपना धैर्य और आशा न छीनने दें तो ही हम प्रगति की राह पर चल सकते है। यह बाबा साहब डॉक्टर आंबेडकर की निर्भीकता थी कि उन्होंने पूना पैक्ट त्रासदी के बाद भी वास्तविक राजनीतिक प्रतिनिधित्व के लिए […]

किसानी संघर्ष में असली संघर्ष 26 से 31 जनवरी तक था

सरदार मनधीर सिंह (Sardar Mandhir Singh) किसान-संघर्ष के दौरान 26 जनवरी के आगे के 3-4 दिन सही मायनों में संघर्ष का दौर था. 26 तारिख के घटनाक्रम के बाद सरकार ने किसानों के लाल किले में प्रवेश, केसरी निशान (खालसा पंथ का झंडा) और किसानी झंडा झुलाने और तिरंगे के कथित अपमान के हवाले से गोदी (ब्राह्मणवादी) मीडिया के ज़रिये […]

किसान आंदोलन का बढ़ता हुआ दायरा बनाम सरकार

satvendra madara

सतविंदर मनख (Satvinder Manakh) केंद्र की RSS- BJP सरकार द्वारा किसानों के लिए बनाए गए नए कानून के खिलाफ पंजाब से शुरू हुआ किसान आंदोलन, अब पूरे देश में फैल चुका है। शुरुआती दौर में ही इसमें हरियाणा – उत्तर प्रदेश के किसान जुड़े। अब राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, बिहार समेत कई दूसरे राज्यों के किसानों के न सिर्फ समर्थन बल्कि […]

अनाज का रसायन विज्ञान (किसान को समर्पित 5 लघु कविताएँ)

बाल गंगाधर बाग़ी (Bal Gangadhar Baghi) 1. किसान किसान नहीं तो भोजन नहीं, भोजन नहीं तो जीवन नहीं। और जीवन नहीं तो मानवता सभ्यता का अंत।फिर किसी का भी इतिहास नहीं होगाक्योंकि इतिहास लिखने के लिए इतिहासकार का भी ज़िंदा रहना ज़रूरी हैयही ज़िंदगी की धूरी है।इसीलिए !किसान का अंत होना,इतिहास का भी अंत होना है ! 2. रोटी का […]

दियरी या दियारी (दीपक) एक कोया-पुनेमी फसलोत्सव

डॉ सूर्या बाली “सूरज धुर्वे” (Dr. Suraj Bali ‘Suraj Dhurve’)  कोया पुनेम के संस्थापक मुठवा पारी पहाण्दी कुपार लिंगों ने कोयामूरी द्वीप पर मानव के लिए सर्व प्रथम धान की फ़सल की ही शुरुआत की थी इसलिए मानव जीवन के लिए धान बहुत महत्त्वपूर्ण था. आज भी भारत के ज़्यादातर हिस्सों में धान पर आधारित खेती के सहारे ही मानव […]

‘जंगो लिंगो लाठी गोंगों’ एक महान कोयापुनेमी उत्सव

डॉ सूर्या बाली “सूरज धुर्वे” (Dr. Suraj Bali ‘Suraj Dhurve’) कोया-पुनेमी संस्कृति में प्रकृति को सर्वोच्च माना गया है और मानव को प्रकृति के साथ समंजस्य बनाकर जीवन जीने की बात कही जाती है. प्रत्येक मानव प्रकृति की समझ के बिना अपूर्ण, अज्ञानी और अपरिपक्व होता है जो प्रकृति के सानिध्य में रहकर समय के साथ पूर्ण, ज्ञानी और परिपक्व […]

जाने कब वो कल होगा

Deepak Mevati

दीपक मेवाती ‘वाल्मीकि’ (Deepak Mevati ‘Valmiki’) मैं भी प्यार मोहब्बत लिखतालिखता मैं भी प्रेम दुलारलिखता यौवन की अंगड़ाईलिखता रूठ और मनुहारलिखता प्रकृति की भाषालिखता दुश्मन का मैं वारलिखता फूलों की मादकतालिखता नभमंडल के पार। पर नहीं सोच पाता है मनकुछ उससे आगे पार लिखूंसुरक्षित जीवन सबका हो जिससे बस उसका जीवन सार लिखूं। जहाँ की सोच लग जाता हैकपड़ा सबकी […]

एक कोइतूर बच्चे ने कहा- मुझे डॉक्टर बनना है

sanjay Shraman Jothe

एक संकल्प, एक सपने और एक वादे की दास्तान डॉ.सूर्या बाली संजय श्रमण जोठे (Sanjay Shraman Jothe) इस प्रेरणादायी कहानी में आपका स्वागत है। यह कहानी ट्राइबल (कोइतूर) समाज से आने वाले एक ऐसे व्यक्ति के बारे में है जिसने ग़रीबी और जातिगत घृणा के बीच जन्म लिया, जीवन भर ग़रीबी और जातिवादी नफ़रत और हिंसा का सामना किया। इस […]