Dhamma
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 धम्म दर्शन निगम (Dhamma Darshan Nigam)

Dhamma“मुख्यधारा” की राजनीति की दो चर्चित महिला राजनेता शीला दीक्षित और सुषमा स्वराज की क्रमशः 20 जुलाई 2019 और 6 अगस्त 2019 को मृत्यु हो गई। “मुख्यधारा” की इस घोर ब्राह्मणवादी और पितृसत्तावादी राजनीति में इन दोनों महिलाओं ने अपनी-अपनी सिर्फ कोरी मौजूदगी ही दर्ज नहीं कराई, बल्कि ख़ुद की प्रासंगिकता भी बनाए रखी, जो सराहनीय है। लेकिन, ब्राह्मणवादी और पितृसत्तावादी राजनीति में महिलाएं उनकी मौजूदगी और प्रासंगिकता, कुछ अपवाद को छोड़ कर, तभी तक बनाए रख पाती हैं जब तक वो इन विचारधारों को कोई नुकसान नहीं पहुंचती और जब तक वो मुखर होकर जाति और महिला मुद्दों पर बात नहीं करती। (वैसे इन दोनों महिलाओं ने अपनी-अपनी राजनीतिक पार्टियों में ब्राह्मणवाद और पितृसत्ता को कितनी-कितनी चुनौती दी यह देखना बाकी है)। जिस प्रकार, राम विलास पासवान और शाहनवाज हुसैन जैसे नेता भारतीय जनता पार्टी या ऐसी दूसरी पार्टियों में बने रहते हैं, उसी प्रकार महिलाएं भी इन राजनीतिक पार्टियों में रहकर उनका राजनीतिक करियर बनाती हैं। ऐसे नेता जिस पहचान से आते हैं उस पहचान के लोगों के अधिकारों की बात नहीं करते या पहचान से ज्यादा न्याय, समानता और अधिकारों की बात नहीं करते, और आखिर में ब्राह्मणवाद और पितृसत्ता को ही मजबूत करते हैं। इन दोनों महिलाओं के राजनीतिक करियर की आलोचना या समालोचना करना इस लेख की विषयवस्तु नहीं है। इन दोनों महिलाओं पर लिखने की मजबूरी तब बनी जब कुछ दलित-बहुजन इनकी मौत पर दुःख जताते दिखे। दोनों महिलाओं के बारे में मैं यहां एक-एक बात लिखूंगा और ये दलित-बहुजन तब सोच सकते हैं कि वो और कितना दुःख जताना चाहते हैं। 

शीला दीक्षित 1998-2013 तक 15 साल के लिए दिल्ली की मुख्य मंत्री रहीं। बड़े-बड़े नेताओं से आम जनता तक ने, प्रिंट मीडिया से सोशल मीडिया तक ने दिल्ली के बड़े-बड़े फ्लाईओवर, सड़कें, दिल्ली के सौंदर्यीकरण और दिल्ली मेट्रो का श्रेय शीला दीक्षित को दिया। लोगों ने उन्हें आधुनिक दिल्ली की मां तक कहा। दिल्ली के 2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स को दिल्ली के लिए गर्व और सम्मान की बात कहा गया। लेकिन किसी ने कॉमनवेल्थ गेम्स में हुए घोटालों1  का ज़िक्र नहीं किया। किसी ने यह नहीं बताया कि Scheduled Caste Sub-Plan (Special Component Plan) का 2005 से 2010 तक का 10-12 2,5000/- करोड़ से ज्यादा पैसा कॉमनवेल्थ गेम्स के खर्चे में लगाया गया।2 दलितों के इस पैसे पर कोई चर्चा ना करना चाहता है न ही बताता है कि दलित इन राजनेताओं, मीडिया घरानों के मालिक और इनके कर्मचारियों के ख़याल में आते ही नहीं हैं, जैसे कि 16.9% दलित दिल्ली में रहते ही ना हों। जातिगत छुआछूत-भेदभाव के चलते आम बजट की लोक-कल्याण योजनाओं का फायदा दलितों तक नहीं पहुंच रहा था। इसीलिए विशेष रूप से दलितों के लोक-कल्याण के लिए Scheduled Caste Sub-Plan बनाया गया था। लेकिन, शीला दीक्षित ने यह पैसा भी 10-12 दिन के खेलों की तैयारी में खर्च कर दिया। जरा सोचिये कि कोई आपको यह सब क्यों नहीं बताता और क्यों तुम सब इनकी ख़ुशी में ख़ुश, और इनके दुःख में दुःखी हो जाते हो। जब इन ब्राह्मणवादियों के लिए तुम exist ही नहीं करते तो तुम क्यों इन्हें अपने सर पर ढो रहे हो? क्या हमें नहीं सोचना चाहिए कि शीला दीक्षित ने उनके दिल्ली पर 15 साल के राज में दलितों के किए क्या किया था या क्या हमें ख़ुद ही इसकी रिसर्च कर सभी को नहीं बताना चाहिए? ये वही हैं जिनके नेता ने कहा था कि “जब भी कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती थोड़ी हिलती है”।3 अतः हमें इन्हें और इनकी राजनीति को आलोचनात्मक तरीके से देखने के अलावा कोई और चारा नहीं है।

sheila sushma

और दलितों आधुनिकता का मतलब सिर्फ सड़कें, फ्लाईओवर, सौंदर्यीकरण और मेट्रो नहीं होता। आधुनिकता मापने का ये बहुत सतही पैमाना होगा। आधुनिकता का असली मतलब स्वतंत्रता, समानता, भाईचारा (Liberty, Equality, Fraternity) होता है, जो बाबासाहेब ने गौतम बुद्ध से सीखा था। आधुनिकता का मतलब एक इंसान का दूसरे इंसान से, एक जाति के लोगों का दूसरी जाति के लोगों से, और एक धर्म के लोगों का दूसरे धर्म के लोगों से महोब्बत करना और एक-दूसरे के दुःख-दर्द में मदद करना होता है। और कोई भी समाज आधुनिक नहीं कहलाया जा सकता जब तक उस समाज के लोग आपस में एक-दूसरे को कम-ज्यादा आंकते हों या एक जैसा ना मानते हों, जब तक एक समुदाय ख़ुद को दूसरे समुदाय का संरक्षक समझता हो या उस को रहम की नज़र से देखता हो। किसी भी राज्य की सरकार भी आधुनिक नहीं होगी अगर वो उसके नागरिकों में ही भेद करती हो। इस तरह से दलितों आप समझ सकते हो कि कौन कितना आधुनिक है। और आधुनिकता की परिभाषा हम बाबासाहेब से ही सीखें तो बेहतर होगा। 

और सुषमा स्वराज वो थीं जिन्होंने कहा था कि रोहित वेमुला दलित नहीं था।4 और तुम्हें लगता है कि यह बहुत साधारण बात है! शायद तुम इसका मतलब नहीं समझ पा रहे हो। शायद तुम समझ ही नहीं पा रहे हो कि दलित छात्रों की संस्थागत हत्त्याओं (institutional murder) से तुम क्या खो रहे हो और ये ब्राह्मणवादी क्या पा रहे हैं। आज उन्होंने एक रोहित वेमुला को मारने के बाद बोला है कि वो दलित नहीं था। कल वो हजारों रोहित वेमुला को उनके जिंदा रहते बोलेंगे कि वो दलित नहीं हैं। और ऐसा करने की तैयारी भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने शुरू भी कर दी है। उन्होंने अलग-अलग विषयों के स्कॉलर्स की एक ऐसी समिति बनाई है जो archaeology और DNA के सबूतों के आधार पर हिंदुओं को भारत का पहला निवासी, मतलब मूलनिवासी, बताएगी और यह सिद्ध करेगी कि हिंदुओं के प्राचीन वेद-पुराणों में लिखी कहानियां सच है, काल्पनिकता नहीं।5 और इस समिति की सिफ़ारिशों को स्कूल की किताबों और academic research में पढ़ाया जाएगा। भारतीय जनता पार्टी ने बहुत ही सुव्यवस्थित (well organized) तरीके से मनुस्मृति को स्थापित करने का काम शुरू कर दिया है। इस तरह से इतिहास लिखे जाने के दुष्परिणाम तुम ख़ुद से ही सोचो तो बेहतर होगा। लेकिन तुम हो कि जो तुम्हारे इतिहास को बिगाड़ रहा है, तुम्हारे लिए गड्ढा खोद रहा है, तुम उसके मरने पर रुदाली हुए जा रहे हो। अपने दुश्मन को ना पहचानना, उसके मरने पर रुदाली बन जाना, तुम्हारी दासता की निशानी है। 

इस नये तरीके से लिखी गयी किताबों में तुम्हारा विश्वास जगाने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) दशकों पहले काम शुरू कर चुका है और इसमें वो सफल भी हो रहा है। इसका ताज़ातरीन उदाहरण तुम्हारा यह मानना है कि बाबासाहेब ने आर्टिकल 370 का विरोध किया था और BJP ने जम्मू-कश्मीर से यह आर्टिकल हटा कर अच्छा काम किया। जम्मू-कश्मीर से यह आर्टिकल हटाना भारत के हिंदू राष्ट्र बनने में एक बड़ा कदम है। और अब तुम ही सोचो कि जब इस देश को हिंदू राष्ट्र बनने की तरफ़ धकेला जा रहा है और इतिहास फिर से लिखा जा रहा है तो दलितों के लिए उसमें क्या जगह निर्धारित करी जाएगी। सुषमा स्वराज उनके आखिरी ट्वीट में लिखती भी हैं कि “मैं अपने जीवन में इस दिन को देखने की प्रतीक्षा कर रही थी” वो चाहती थीं कि यह देश हिंदू राष्ट्र बने, और वो इस से भी अनभिज्ञ बिलकुल भी नहीं होंगी कि फिर दलितों की कितनी दूर्दशा होगी।         

RSS या BJP के द्वारा कुछ कहे या करे को अच्छा मानना तुम्हारे हिंदूवादी (hinduised) और सांप्रदायिक (communalised) हो जाने की निशानी है। वो इस तरह से सिर्फ़ तुम्हें ही hinduised और communalised नहीं बना रहे, बल्कि बाबासाहेब को भी hinduised और communalised नेता के रूप में पेश कर रहे हैं। गोपाल गुरु 1991 में Economic and Political Weekly में लिखे आर्टिकल ‘Hinduisation of Ambedkar in Maharashtra’ में लिखते हैं कि ये लोग गौतम बुद्ध को तो हिंदू-भगवान विष्णु का अवतार सिद्ध कर ही चुके हैं और अब इन्होंने अंबेडकर को भी अपने पोस्टर्स पर हिंदुओं का हमदर्द दर्शाना शुरू कर दिया है। और अब इसमें कुछ hidden agenda नहीं रह जाता कि ये लोग पहले तुम्हारा हिन्दुकरण करेंगे और फिर तुम्हें तुम्हारा बदला हुआ इतिहास पढ़ाएंगे। दलितों का हिंदुकरण होने में लालकृष्ण अडवानी द्वारा चलाई गई रथ यात्रा, बाबरी मस्जिद के टूटने, और उसके बाद हुए दंगों का बहुत बड़ा हाथ है, जिसके लिए सुषमा स्वराज ने कहा था कि उन्हें कोई पछतावा6 नहीं है। ऐसी नेता की मौत पर दुखी होने से तुम्हें क्या ही मिलेगा ओ दलितों!

RSS आपका हिंदुकरण आपको ब्राह्मण बनाने के लिए नहीं कर रहा है। उनकी नज़रों में तब भी अछूत ही रहोगे आप। वो तुम्हारा और अंबेडकर का हिंदुकरण सिर्फ तुम्हारा वोट पाने के लिए कर रहा है। और तुम “देशहित” के नाम पर मूर्खों की तरह उन्हें वोट भी दे दोगे। ख़ुद को गर्व से हिंदू कहोगे। तुम यह नहीं सोचोगे कि “देशहित” के लिए दंगे कराना कौन सी बुद्धिमत्ता है। तुम यह नहीं देखोगे कि यही सरकार तुम्हारे भाई-बहनों से टट्टी ढुलवा रही है। 

शीला दीक्षित और सुषमा स्वराज जैसे बहुत सारे नेता हैं इस देश में जो तुम्हारे हिस्से का पैसा खा जाते हैं या इधर-उधर डाइवर्ट कर देते हैं और तुम्हें अंधेरे में रख कर ख़ुद का एजेंडा पूरा करते हैं। इन लोगों के षड्यंत्र को पकड़ने के लिए जरुरत है बाबासाहेब को पढ़ने की।

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  1. https://economictimes.indiatimes.com/news/politics-and-nation/cwg-scam-cag-report-indicts-pmo-slams-sheila-dikshit-by-pointing-to-enormous-bungling/articleshow/9493964.cms accessed on 10/8/19 
  2. https://frontline.thehindu.com/static/html/fl2713/stories/20100702271309800.htm accessed on 10/8/19
  3. https://www.amarujala.com/india-news/1984-anti-sikh-riots-rajiv-gandhi-said-whenever-a-big-tree-falls-earth-shakes-a-bit accessed on 10/8/19 
  4. https://timesofindia.indiatimes.com/india/Rohith-Vemula-was-not-a-dalit-Sushma-Swaraj-says/articleshow/50788780.cms accessed on 11/8/19
  5. https://www.ndtv.com/india-news/a-committee-chosen-by-modi-government-to-rewrite-indias-history-report-1820397 accessed on 11/8/19
  6. https://www.ndtv.com/india-news/full-transcript-truth-vs-hype-the-sushma-paradox-569012 accessed on 12/8/19

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धम्म दर्शन निगम ‘सफाई कर्मचारी आन्दोलन’ के नेशनल कोऑर्डिनेटर हैं, लेखक हैं व् The Ambedkar Library के फाउंडर हैं. उनसे ddnigam@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है.

तस्वीर : इन्टरनेट दुनिया से साभार.

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