
नीतिशा खालखो (Neetisha Xalxo)
रविवार को दिल्ली के ट्राइबल समुदाय की एक मीटिन्ग में यह चिंता व्यक्त की गयी कि सेंसस 2020 में सरकार ने जानबूझ कर देश के शेड्युल्ड ट्राइब्स और आदिवासियो के हिंदुकरण के लिये कृतसंकल्प है. अपने इस एजेंडे के तह्त जनगणना 2020 में केवल मुख्यधारा के धर्मो का ही उल्लेख किया गया है. धर्मो के इस कालम में सरना, कोयतूर, आदी ट्राइबल धर्म के लिये कोई स्थान नहीं है. नतीजतन भारत के आदिवासी धर्म की पहचान पर बडा खतरा आ गया है. अब चाहे न चाहे शेड्युल्ड ट्राइब्स को हिंदू धर्मी ही दर्शाया जायेगा. और ये देश अपने आप ही हिंदू-बहुल देश कहलायेगा.
सरकार का यह कदम भारत की विविधता भरी संस्कृति पर गहरा हमला है. जिससे देश की इंडिजिनियस कम्युनिटी अपनी पहचान खो देगी.
इसलिये इसके विरोधस्वरूप ट्राइबल समुदाय ने यह घोषणा कि है कि यदि सरकार सेंसस 2020 में ट्राइबल धर्म का कालम नही जोड्ती तो हम किसी कीमत पर अपने जनगणना होने नहीं देंगे और लोकतांत्रिक तथा अहिंसात्मक तरीके से इसका बहिष्कार करेंगे.
साथ ही मीटिंग में यह भी तय हुआ कि आगामी 4 मार्च को दिल्ली में आयोजित CAA , NPR, NRC के खिलाफ प्रदर्शन देश के सभी प्रांत के आदिवासी और ट्राइबल भारी संख्या में भाग लेकर सरकार को इस जनविरोधी NPR, NRC और CAA अधिनियम को वापस करने का दबाव डालेंगे.
ज्ञात रहे कि नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर 4 मार्च को सुबह 10 बजे से देश भर के दलित , आदिवासी, इसाई, बौद्ध मुसलमान, ट्रांसजेंडर व प्रगतिशील अपना प्रतिरोध दर्ज करने के लिए जुट रहा है. इसकी चौथी तैयारी बैठक में विभिन्न आदिवासी समुदायों ने अपनी हामी भरी.
आईये सपरिवार!
अपने ज़िंदा होने का प्रामान दें!!
अन्यथा 1 अप्रैल के बाद से हमें बाकी जीवन डिटेंशन सेंटर में ही गुजारना होगा. सेन्सस (जनगणना) का बहिष्कार करें. क्योंकि आदिवासी की धार्मिक पहचान इस बार भी 2020 के जनगणना प्रपत्र से गायब है.
सेन्सस और NPR दोनो ही 1 अप्रैल 2020 से शुरू किया जा रहा है.
मिलकर इन दोनों का बायकाट करें.
शामिल हों बड़ी से बड़ी संख्या में 4 मार्च 2020 को.
समय- 10 बजे सुबह से शाम 6 बजे तक
स्थान- जंतर मंतर, नई दिल्ली
सबसे नजदीकी मेट्रो स्टेशन- पटेल चौक, गेट नंबर 1 (येलो लाइन)
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नीतिशा खालखो आदिवासी समाज से एक शिक्षिका हैं.