दिनेश अमिनमन्तु [यह भाषण “मीडिया में दलित प्रोफेशनल की सहभागिता”, दिनेश अमिनमन्तु द्वारा कन्नड़ में दिया गया था। जो कर्नाटक SC/ST एडिटर एसोसिएशन द्वारा बाबासाहेब की १२५ जयंती के अवसर पे हुए 18th जुलाई 2016 के कार्यक्रम का हैं. ] अगर मुझसे कोई भारतीय मीडिया में मेरे रोल मॉडल के बारे में पूछे तो मेरा जवाब डॉ बाबा साहेब […]
महाड़ चवदार सत्याग्रह और आंबेडकर की 3 क्रांतिकारी सलाहें: वर्तमान समय और इनकी प्रासंगिकता
संजय जोठे ऐसे समय में जब हम बाबा साहब की 125 जयंती मना रहें हैं| तब उनकी चमकती हुई विरासत के कई पहलुओं को फिर से समझने की विकट आवश्यकता आन पडी है| क्रांतियों और परिवर्तन की नई शब्दावलियों में पुराने अर्थों के साथ पूरा न्याय नहीं किया जा रहा है| बहुत बार अच्छे उद्देश्यों से चलाये जा रहे […]
डॉ. अम्बेडकर द्वारा स्थापित राजनीतिक प्रवेश प्रशिक्षण विद्यालय: एक भूली हुई दास्ताँ
बाबासाहेब अम्बेडकर (१८९१-१९५६) की १२५ वीं जयंती केवल भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के तमाम देशों में विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से धूमधाम से मनाई गई, यद्यपि, इस उमंग और उत्साह से भरे माहौल में डॉ. अम्बेडकर से सम्बंधित आज तक उपेक्षित रहे ऐसे कुछ मुद्दे इस वर्ष भी नदारद दिखे, जिनकी आज के समय में अत्यन्त आवश्यकता है, […]
हम सबके लिए बाबासाहेब
Essay 2. ‘What Babasaheb Ambedkar Means to Me’ Ravindra Kumar Goliya आप सभी को बाबासाहब की १२५वीं जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं| आप सब से मैं पूछना चाहता हूँ कि हम बाबासाहब की जयंती क्यों मनाते हैं? क्या सिर्फ उन्हें याद करने के लिए? क्या सिर्फ यह याद कर लेने से काम चल जायेगा कि बाबासाहब ने हमारे लिए यह किया या […]
‘बाबासाहब अंबेडकर मेरे लिए क्या मायने रखते हैं ‘ शीर्षक पर लेख आमन्त्रित हैं
Round Table India बाबा साहिब के जीवन और उनकी उपलब्धियों को मनाने के लिए किसी ख़ास अवसर की ज़रूरत नहीं है, उनका उदय एक चेतना और जन-मानस के एक नैतिक लंगर के रूप में हुआ। एक संगीतमय परम्परा उनके जीवन के प्रतिपादन की जो उनके जन्म से शुरू होते हुए, महाड़ में अपना रूप लेते हुए, पूना पैक्ट, गोल मेज़ सम्मलेन, […]
शुक्रिया बाबा साहेब
Gurinder Azad गुरिंदर आज़ाद शुक्रिया बाबा साहेब !आपके चलतेहमें किसी से कहना नहीं पड़ताकि हम भी इंसान हैं ! उनके अहं को जो भी हो गवारालेकिन अब तस्दीक हो चुका हैकि बराबरी थाली में परोस कर नहीं मिलतीआबरू की धारा किसी वेद से नहीं निकलतीबड़ा बेतुका हैकल्पना करके सोनासुबह अलग सा कोई नज़ारा होगाया धीरे धीरे सब सही हो जायेगाअपनेआप […]