मैं तुम्हारा कवि नहीं हूँ…

Vidyasagar

विद्यासागर (Vidyasagar) मैं तुम्हारा कवि नहीं हूँमैं कवि हूँ अपने चमारटोली काजिसकी दुर्गन्धता में तुम्हें नरक का आभास होता हैलेकिन मुझे उसमे समानता का स्वर्ग प्रतीत होता है। मैं कवि हूँ उन लाखों लोहारों काजिनकी निहाई पर बरसते हथौड़ों की आवाज़ मुझे तुम्हारे मंदिरों में चीखते घंटों से ज्यादा मधुर लगती हैं। मैं कवि हूँ उन लाखों डोमों काजिनकी छाया […]

जहाँ कभी एक गाँव हुआ करता था…

वहीदा परवेज़ (Wahida Parveez) (1)इक ख्वाब के नक़्शे-कदम मैंने अपना पेट फुला हुआ महसूस किया ! दरअसलमैं हर चीज़ महसूस कर पा रही थी ! मैं अपने बचपन में थी नानी के गाँव वाले टूटे-फूटे रास्ते से चलते-कूदते मैंने पानी का टपकना महसूस कियामैं रोते-रोते घर पहुँचीमैंने सबसे कहा- वह बस आने वाला है !मैंने अपनी नाभि के नीचे उसे […]

शुक्रिया बाबा साहेब

gurinders tribute

Gurinder Azad गुरिंदर आज़ाद शुक्रिया बाबा साहेब !आपके चलतेहमें किसी से कहना नहीं पड़ताकि हम भी इंसान हैं ! उनके अहं को जो भी हो गवारालेकिन अब तस्दीक हो चुका हैकि बराबरी थाली में परोस कर नहीं मिलतीआबरू की धारा किसी वेद से नहीं निकलतीबड़ा बेतुका हैकल्पना करके सोनासुबह अलग सा कोई नज़ारा होगाया धीरे धीरे सब सही हो जायेगाअपनेआप […]