जहाँ कभी एक गाँव हुआ करता था…

वहीदा परवेज़ (Wahida Parveez) (1)इक ख्वाब के नक़्शे-कदम मैंने अपना पेट फुला हुआ महसूस किया ! दरअसलमैं हर चीज़ महसूस कर पा रही थी ! मैं अपने बचपन में थी नानी के गाँव वाले टूटे-फूटे रास्ते से चलते-कूदते मैंने पानी का टपकना महसूस कियामैं रोते-रोते घर पहुँचीमैंने सबसे कहा- वह बस आने वाला है !मैंने अपनी नाभि के नीचे उसे […]

एक डी-वोटर का बेटा

(1) उनका देश है, चुपचाप रहो तुम्हारे चूल्हे पर हांडी भर भूख उबल रही हैदो चील बैठे हैं छत्त परतुम गरीब हो, तीन रुपए का चावल खाते होऔर तुम्हारा नेता तुम्हें समझाता हैउनका देश है, चुपचाप रहो उन्हें तुम नेता बनाते होजिससे वे दिल्ली जाते है, दिसपुर पहुँचते हैउन्हीं की काली गाड़ी के नीचे ख़त्म हो जाती हैतुम्हारी सस्ती जवानीतुम […]