रेडियो रवांडा बनता भारतीय मीडिया

लेनिन मौदूदी (Lenin Maududi) “जब मैं अनाथालय में पहुंची तो उससे पहले ही हुतू समुदाय के दंगाई वहाँ पहुंच चुके थे। वह दोनों बहनें बच्चियां थीं। उसकी छोटी बहन को वह लोग पहले ही मार चुके थे। बड़ी बहन दौड़ कर मेरे पास आई और मुझ से लिपट गयी। उसे लगा कि मैं उसे बचा लूंगी। वह ज़ोर-ज़ोर से कहने […]

सत्ताधारियों का विमर्श ढोते हाशिये के लोग

ratnesh katulkar

डॉ रत्नेश कातुलकर (Dr. Ratnesh Katulkar) दुनिया के मज़दूर एक हो! कार्ल मार्क्स का यह कितना अच्छा संदेश है. यदि वास्तव में ऐसा हो पाता तब किसी एक देश-विशेष तो क्या दुनिया के किसी भी कोने में कोई भी व्यक्ति मानव अधिकार से वंचित नहीं रह पाता. लेकिन मज़दूरया वंचित भला एक कैसे हो सकते हैं! इनके बीच जाति, उपजाति, धर्म, सम्प्रदाय, क्षेत्र, […]