अगर हम कोइतूर शब्द को और गहरे अर्थ में समझें तो आज की अनुसूचित जनजातियों (Schedule Tribes), अनुसूचित जातियों (Schedule caste), पिछड़ा वर्ग (Other Backward Classes) और धार्मिक अल्पसंख्यकों (Religious Minorities) को मिलकर जो समूह बनता है वह भी कभी इसी कोइतूर (Indigenous) समाज का हिस्सा था लेकिन कालांतर में बाहर से आने वाले लोगों की संस्कृतियों के प्रभाव और संपर्क में आकर अपनी मूल संस्कृति, रहन-सहन, भाषा बोली, तीज त्योहार, खान पान, पूजा पाठ, जीवन संस्कार इत्यादि को त्याग दिया और अपने कोइतूर होने के अधिकार को खो दिए। भारत की मात्र कुछ जनजातियाँ जैसे गोंड, प्रधान, कोया, इत्यादि ही अपने उस प्राचीन मूल कोयापुनेमी सभ्यता और संस्कृति को बचाए रहने में सफल रहे हैं और आज भी कोइतूर होने का अधिकार रखते हैं।