धार्मिक द्वंद से आगे: यूनिफार्म सिविल कोड की ओर

Ayaz Abhijit

अयाज़ अहमद (Ayaz Ahmad) अभिजीत आनंद (Abhijit Anand) कुछ माह पहले ही तीन तलाक़ को अवैध घोषित कर के माननीय उच्चतम न्यायालय ने मुस्लिम पर्सनल लॉ में सुधारों की आवश्यकता पर एक सार्थक बहस की शुरुआत की थी। लेकिन पितृसत्तावादी कट्टरपंथी शुरू से ही इस फ़ैसले को सामाजिक स्तर पर नाक़ाम करने पर तुले हुए हैं। जमीयत उलमा-ई-हिंद के जनरल […]

भारत का नैतिक पतन और ब्राह्मणवाद

sanjay sharman jothe

संजय जोठे (Sanjay Jothe) भारत का दार्शनिक और नैतिक पतन आश्चर्यचकित करता है. भारतीय दर्शन के आदिपुरुषों को देखें तो लगता है कि उन्होंने ठीक वहीं से शुरुआत की थी जहां आधुनिक पश्चिमी दर्शन ने अपनी यात्रा समाप्त की है. हालाँकि इसे पश्चिमी दर्शन की समाप्ति नहीं बल्कि अभी तक का शिखर कहना ज्यादा ठीक होगा. कपिल कणाद और पतंजली […]

द ट्रांस पर्सन्स बिल ‘2016′ के विरोध में उठती आवाज़

KUNAL RAMTEKE

प्रधानमंत्री जी को चिट्ठी लिखने की अपरिहार्यता का परिप्रेक्ष्य सरकार द्वारा प्रस्तावित ‘द ट्रांस पर्सन्स (सुरक्षा एव अधिकार) बिल ‘2016‘ के विरोध में उठती आवाज़ कुणाल रामटेके (Kunal Ramteke) समकालीन भारतीय परीपेक्ष्य मे सामाजिक मानसपटल पर गहराते धर्म, वर्ण, जाति, वर्ग, लिंगभेद के संकट के बीच राज्यद्वारा प्रेरित तथा प्रस्थापित हिंसा ने व्यवस्था को पुनः कटघरे मे लाकर खड़ा कर […]

समाज का जनाज़ा : एक दलित के शव की यात्रा

ganpat rai bheel

   गणपत राय भील (Ganpat Rai Bheel) बदीन ज़िले में एक भील जाति के नौजवान की लाश को उसके क़ब्र से खोद कर बाहर निकाल कर फेंक दिया गया. यह अमानवीय कृत्य उच्चवतम पवित्रता के धार्मिक जोश में साहिबे ईमान(इस्लाम के सच्चे मानने वाले) वालों ने किया. दैनिक सिंध एक्सप्रेस में इसकी फ़ोटो और रिपोर्ट कुछ विस्तार के साथ छपी. […]

उर्दू अदब में जातिवाद

faqir

जय प्रकाश फ़ाकिर (Jay Prakash Faqir) मै DEMOcracy का एक बार फिर से शुक्रगुजार हूँ कि उन्होंने मुझे मौका दिया इस विषय पे बोलने के लिए. मै अपनी बात इकबाल के इस शेर से ही शुरू करना चाहता हूँ- यूँ तो सय्यद भी हो मिर्ज़ा भी हो अफ़्ग़ान भी हो तुम सभी कुछ हो बताओ मुसलमान भी हो? आप इस शेर […]

भोजपुरी भाषा-समाज और महिलाएं: लोकगीतों के अजायबघर के बाहर

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आशा सिंह (Asha Singh)  यह पर्चा इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली में 8-9 दिसंबर 2017 को CWDS  द्वारा आयोजित एक वर्कशॉप में पढ़ा गया था.  मेरे वक्तव्य का विषय है, ‘भोजपुरी भाषा–समाज और महिलाएं: लोकगीतों के अजायबघर के बाहर’. सबसे पहले ये चर्चा करने की ज़रुरत है कि क्या ज़रुरत आ पड़ी कि आज हम हिंदी में स्त्री–चिन्तन करने के […]

स्त्री यौनिकता, नियंत्रण एवं भविष्य के खतरे

sanjay sharman jothe

  संजय जोठे (Sanjay Jothe) स्त्री यौनिकता पर सत्र था, मौक़ा था यूरोप, एशिया और अफ्रीका में परिवार व्यवस्था में आ रहे बदलाव पर एक कार्यशाला. यूरोप, खासकर सेन्ट्रल यूरोप में परिवार में बढ़ते आज़ादी के सेन्स और महिलाओं की आर्थिक आत्मनिर्भरता के बीच एक सीधा संबंध है – डेवेलपमेंट स्टडीज़, मनोविज्ञान और सोशियोलोजी ने यह स्थापित कर दिया है. […]

पसमांदा मुस्लिमों के खिलाफ ज़हर उगलते थे सर सैयद

Faiyaz Ahmad Fyzie

फ़ैयाज़ अहमद फ़ैज़ी (Faiyaz Ahmad Fyzie) इलाहबाद से निकलती मासिक पत्रिका ‘समकालीन जनमत’ के नवंबर 2017 अंक में छपा लेख “सर सैयद और धर्म निरपेक्षता” पढ़ा. पढ़ कर बहुत हैरानी हुई कि पत्रिका में सर सैयद जैसे सामंतवादी व्यक्ति का महिमा मंडन एक राष्ट्रवादी, देशभक्त, लोकतंत्र की आवाज़, हिन्दू मुस्लिम एकता का प्रतीक, इंसानियत के सच्चे अलंबरदार के रूप में […]

ओशो रजनीश के बुद्ध प्रेम का असली कारण और मकसद क्या है?

sanjay sharman jothe

  संजय जोठे (Sanjay Jothe) भारत के ईश्वर-आत्मावादी धर्मगुरु भारत के सबसे बड़े दुर्भाग्य रहे हैं, क्योंकि भारत का परलोकवादी और पुनर्जन्मवादी धर्म इंसानियत के लिए सबसे जहरीले षड्यंत्र की तरह बनाया गया है. हर दौर में जब समय के घमासान में बदलाव की मांग उठती है और परिस्थितियाँ करवट लेना चाह रही होती हैं तब कोई न कोई धूर्त […]

टाइगर मेमन, जमात और गुजरात

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अयाज़ अहमद (Ayaz Ahmad) उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के नतीजे अभी आए ही थे. यूपी गुजरातमय हो गया था कि तभी अहमदाबाद में एक एजुकेशन फेयर का आयोजन हुआ. मुझे अपने विश्विद्यालय की तरफ से वहाँ जाने का आदेश मिला. मन में एक उत्सुकता सी जगी कि अच्छा मौका है उस राज्य को देखने का जहाँ से गुजरात मॉडल […]