पूना पैक्ट और एक दलित-मुख्यमंत्री

डॉ. जस सिमरन कहल  (Dr. Jas Simran Kehal) साहित्य के माध्यम से पूना-पैक्ट पर फिर से विचार करते हुए, मैं सोच रहा था कि इस संधि पर हस्ताक्षर करने से पहले डॉ अम्बेडकर का दिमाग कैसे काम कर रहा होगा। दलित वर्गों के हितों की रक्षा करते हुए उस तरह की कठिन सौदेबाजी को अकेले ही प्रबंधित करने के लिए […]

डेल कार्नेगी, स्वेट मारडेन और भारतीय बाबाजी

संजय श्रमण जोठे (Sanjay Shraman Jothe) डेल कार्नेगी और स्वेट मारडेन दोनों लास एंजिल्स के एक बार मे बैठकर बीयर पी रहे थे। दोनों सेल्फ हेल्प और मोटिवेशनल साइकोलॉजी के विश्व-प्रसिद्ध गुरु और लेखक हैं। लेकिन ढलती उम्र मे वे स्वयं डिप्रेशन मे जा रहे थे और एकदूसरे से मदद मांग रहे थे। कार्नेगी ने मारडेन से पूछा कि भाई […]

तू अभी जीता नहीं, मैं अभी हारा नहीं

अरविंद शेष (Arvind Shesh) हिंदी जगत के वरिष्ठ पत्रकार अरविंद शेष के इस संक्षिप्त आलेख में कई इशारे छुपे हुए हैं. अभावों में जीवन गुज़ारते और आत्मसम्मान की निरंतर लड़ाई लड़ते बहुजन समाज के कदम दर कदम आगे बढ़कर हासिल के बरक्स ब्राह्मणवाद के षड्यंत्र जिसने जाने किन किन बहानों से आगे बढ़ने के मुहानों को बंद कर दिया है. […]