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संजय श्रमण जोठे (Sanjay Shraman Jothe)

डेल कार्नेगी और स्वेट मारडेन दोनों लास एंजिल्स के एक बार मे बैठकर बीयर पी रहे थे। दोनों सेल्फ हेल्प और मोटिवेशनल साइकोलॉजी के विश्व-प्रसिद्ध गुरु और लेखक हैं। लेकिन ढलती उम्र मे वे स्वयं डिप्रेशन मे जा रहे थे और एकदूसरे से मदद मांग रहे थे। कार्नेगी ने मारडेन से पूछा कि भाई बताओ मैं क्या करू? आजकल बहुत निराशा हो रही है कुछ अच्छा नहीं लगता है।

मारडेन ने कहा कि भाई मेरे पास भी इसका कोई उत्तर नहीं है, मैं बेरोजगार युवकों और पैसे के लालची लोगों के दिमाग का बुखार ठीक करना जानता हूँ लेकिन जिनका पेट भरा है और जिनके पास अपार धन संपत्ति है उनकी दिमागी खुराफात मैं ठीक नहीं कर सकता। डेल कार्नेगी ने भी माथा ठोंकते हुए कहा कि भाई यही मेरी भी समस्या है, मैं खुद भी बेरोजगार और लालची युवाओं को ही मोटिवेट कर सकता हूँ लेकिन मेरे अपने दिमाग का इलाज मेरे पास नहीं है।

वे दोनों बड़ी देर तक बार मे बैठे रहे और तभी उन्होंने गेरुए वस्त्र धारी एक ब्लॉन्ड युवती को देखा जिसके गले मे एक दाढ़ी वाले भारतीय बाबा की तस्वीर लटक रही थी और वह एक भारतीय ढंग की चिलम से गाँजा फूँक रही थी।

डेल कार्नेगी को याद आया कि यह लड़की कई बार उनके मोटिवेशनल शो मे आई थी और उनसे कई बार पर्सनल काउंसलिंग लेने के बाद भी जीवन मे कुछ ‘खास नहीं कर पाई थी। लेकिन आज इस बीयर बार मे गाँजा फूंकते हुए उसके चेहरे पर जो आत्मविश्वास और सुख की वर्षा हो रही थी वह अद्भुत है। 

उस युवती को देखकर मारडेन और कार्नेगी दोनों उसके पास जाकर पूछने लगे कि हे देवी जीवन मे कुछ न उखाड़ पाने के बावजूद यह दिव्य आनंद और यह समाधान आपको कैसे और कहाँ से मिला है?

उस युवती ने गांजे की खुमारी मे प्रयासपूर्वक अपनी आँखें खोलते हुए दोनों को करुणापूर्ण दृष्टि से देखा और अपने गले मे लटक रही माला के अंतिम छोर मे अपने कोमल वक्ष पर विराजमान बाबाजी की तस्वीर की तरफ इशारा किया। दोनों बूढ़े मनोवैज्ञानिक समझ गए कि असली समाधान बाबाजी के पास है। उन्होंने युवती को धन्यवाद दिया और अपनी बियर और युवती के गांजे का बिल चुकाकर बाबाजी की तलाश मे निकल गए।

बाबाजी एक रेगीस्तानी बंजर इलाके मे एक आश्रम मे हजारों सन्यासियों के बीच ह्यूमन पॉटेंशियल मूवमेंट चला रहे थे और वे स्वयं अपनी इंपोटेंसी की वजह से दूसरों के ‘पोटेन्ट पर्फार्मेंस’ को ‘दर्शन-संध्या’ के नाम से आयोजित करके स्वयं अपने फ्रस्ट्रैशन का इलाज कर रहे थे। उनके आसपास सैकड़ों सन्यासी नंग धड़ंग होकर नाच रहे थे और आश्रम मे एक सेवन स्टार होटल जैसी चमक दमक फैली हुई थी। ये दोनों मनोवैज्ञानिक इस दिव्य दृश्य को देखते ही समझ गए कि बाबाजी कोई सामान्य आदमी नहीं बल्कि पहुंचे हुए गुरु घण्टाल हैं। वे चुपचाप बाबाजी के पास गए उनके चरणों मे दंडवत किया और अपनी व्यथा कही।

बाबाजी स्वयं को भगवान कहते थे उनके शिष्य भी उन्हें भगवान कहते थे। डेल कारनेगी ने पूछा कि भगवान हम पूरी जिंदगी दूसरों को मोटिवेट करते आए हैं लेकिन आजकल स्वयं डिप्रेशन मे मरे जा रहे हैं। कोई उपाय बताइए प्रभो।

रजिस्टर्ड भगवान मंद मंद मुस्कुराये और बोले कि हे विद्वतजनों आप जीवन के एक परम गोपनीय और मौलिक सूत्र की व्याख्या स्वयं ही नहीं समझ पाए हैं इसलिए आप दुख झेल रहे हैं, आप अपनी जिस रोल्स रॉयस कार से यहाँ आए हैं उसे आश्रम के नाम कर दीजिए और फिर उस सूत्र की व्याख्या मुझसे समझ लीजिए, फिर आपका दुख सदा के लिए निर्मूल हो जाएगा।

डेल कार्नेगी और स्वेट मोरडेन मुंह और आखें फाड़कर बोले कि भगवन आप भले ही हमारी कार ले लीजिए लेकिन हमें उस परम सूत्र का ज्ञान दीजिए ताकि हम भी आपकी तरह सुखी हो सकें।

यह सुनकर रजिस्टर्ड भगवान ने मुस्कुराते हुए उनसे पूछा कि क्या आप कभी भारत गए हैं? क्या वहाँ आपने सामान्य मनुष्यों, राजनेताओं और बाबाओं का जीवन देखा है?

वे दोनों बोले कि हाँ भगवान हम भारत गए हैं, हमने सब कुछ देखा है लेकिन बुरा न मानिएगा वहाँ बाबा लोग बहुत आनंद मे जीते हैं, धनी और राजनेता लोग बाबाओं की चंपी करते हुए जमाने भर के षड्यन्त्र करते हैं और आम आदमी बहुत दुख मे जीता है।

भगवान मुस्कुराते हुए बोले कि विद्वान पुरुषों इसी बात मे वह सूत्र छुपा है जो तुम दोनों को मानसिक और आत्मिक रूप से स्वस्थ कर सकता है।

डेल कार्नेगी और स्वेट मोरडेन दोनों सर खुजाते हुए बोले कि हम कुछ समझे नहीं भगवान, कुछ विस्तार से बताइए।

रजिस्टर्ड भगवान धीरे से मुस्कुराये और अपनी ‘पर्सनल सेक्रेटरी’ सुशीला के हाथ मे रखी रत्न जड़ित सोने की चिलम से गांजे का कश खींचा। फिर अपनी मदहोश आँखों को चौड़ा करते हुए बोले कि देखो भाई जिन लोगों को आप जीवन मे आगे बढ़ने, सफल होने और धनवान होने की शिक्षा देते हो जब वे तुम्हारे सामने सफल और धनवान होकर आ जाते हैं तब वे तुम्हें अपनी सफलता की कहानी सुनाते हैं और तुम्हारे सामने तुम्हें ही ज्ञान पेलने लगते हैं। इस सबसे तुम्हें लगने लगता है कि तुम अपने ही चेलों से पीछे छूट गए हो, यही तुम्हारे दुख का असली कारण है।

डेल कार्नेगी और स्वेट मोरडेन ने यह सुनते ही एकदूसरे के मुंह की तरफ देखा और एकबार फिर से रजिस्टर्ड भगवान को साष्टांग दंडवत किया और बोले कि बाबाजी आपने तो यहाँ बैठे-बैठे ही हमारी खोपड़ी का अल्ट्रासाउंड कर दिया। आप धन्य हैं भगवान, अब आप हमें इस दुख से मुक्ति का उपाय भी बताएं प्रभो।

रजिस्टर्ड भगवान ने फिर से गांजे का एक लंबा कश छोड़ा, और आँख मारते हुए कहा कि अगर सुखी होना है तो  तुम भी वही करो जो सारे बाबा लोग भारत मे करते आए हैं, फिर तुम्हें कोई दुख नहीं होगा बच्चा।

डेल कार्नेगी और स्वेट मोरडेन दुबारा बोले कि भगवान आप हमें विस्तार से समझाएं कि हमें करना क्या है?

रजिस्टर्ड भगवान सुशीला की तरफ तिरछी नजर से देखकर फिर मुस्कुराये, सुशीला भी मुस्कुराई, दोनों मे इंद्रियातीत और समायातीत टेलीपैथिक संवाद हुआ, फिर भगवान मुस्कुराते हुए बोले कि बच्चा लोग सुनो ध्यान से, जिन बेरोजगार और असफल लोगों को तुम आगे बढ़ने की सलाह देते हो उस सलाह मे आत्मा, परमात्मा, मोक्ष और अगले जन्म की बकवास भी चिपका दिया करो, फिर यह समझाया करो कि संपत्ति और सफलता मिलने के बाद भी जब तक परमात्मा नहीं मिल जाएगा तब तक असली सुख नहीं मिलने वाला है। उन्हे समझाओ कि संपत्ति अगर सिगरेट फूंकने जैसा सुख देती है तो मोक्ष मे चरस या हेरोइन समान सुख छुपा है।

इसलिए संपत्ति हासिल करने के बाद मोक्ष की तलाश करनी चाहिए। एसी सलाह लेकर वे जब करोड़पति,अरबपति बन जाएंगे तो भी अंत मे तुम्हारे पास आकर परमात्मा और मोक्ष को हासिल करने की इच्छा जाहिर करेंगे। तब तुम उन्हे थोड़ा सा गाँजा और अफीम चटाकर और मेरी तरह ‘हा-हा ही-ही’ वाला ध्यान करवाकर उनकी संपत्ति और सफलता का ही नहीं बल्कि उनके नाजुक शरीरों का भी बार-बार आनंद ले सकोगे। फिर वे तुम्हारी सलाह से कभी मुक्त नहीं हो सकेंगे।

डेल कार्नेगी और स्वेट मोरडेन मंत्रमुग्ध होकर सुन रहे थे, भगवान अगला कश भरते हुए फिर बोले कि सुनो ध्यान से, भरे हुए पेट मे जब मोक्ष की बवासीर लग जाती है तो इंसान मरते दम तक गुरु घंटालों की सलाह से मुक्त नहीं हो पाता है। भारत मे हम हजारों साल से यही कर रहे हैं, तुम भी यही करो, ये सफलता चाहने वाले युवक युवती मरते दम तक तुम्हारी सलाह के गुलाम बने रहेंगे। अगर तुमने सफलता की सलाह मे आत्मा परमात्मा और मोक्ष की फफूंद नहीं चिपकाई तो वे धन और संपत्ति हासिल करते ही तुम्हारे पिछवाड़े पर लात मारकर निकल जाएंगे और तुम दोनों फिर से अकेले रह जाओगे और एकदूसरे की पीठ खुजाते रहोगे।

डेल कार्नेगी और स्वेट मोरडेन यह सुनते ही जैसे आसमान से जमीन पर गिरे, वे आँखें फाड़ फाड़कर इधर उधर देखते रहे और बार-बार भगवान के चरणों मे दंडवत करने लगे, अपनी आँखों मे खुशी के आँसू भरकर वे बोले कि भगवान आपने हमारी आँखें खोल दीं, इस दिव्य ज्ञान ने तो हमारी सोचने की शैली ही बदल दी है प्रभो, अब हम यही करेंगे और भारत के महान संतों की अमर शिक्षा का पालन करेंगे।

यह सुनकर रजिस्टर्ड भगवान ने अपनी चिलम से एक और लंबा कश खींचते हुए अपनी सेक्रेटरी को अपनी गोदी मे बैठा लिया और अपना दायाँ हाथ उठाकर जोर से कहा ‘तखलिया’!!!

डेल कार्नेगी और स्वेट मोरडेन रजिस्टर्ड भगवान का इशारा समझ गए और उनके ‘दिव्य तांत्रिक एकांत’ का सम्मान करते हुए भगवान के दिव्य आश्रम मे अपनी रोल्स रॉयस कार छोड़ दी और एक टैक्सी पकड़कर मन मे नया आत्मविश्वास और नयी योजना लेकर निकल पड़े।

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संजय जोठे एक बुद्धिस्ट बहुजन विचारक हैं व् लेखक हैं.

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