(1) उनका देश है, चुपचाप रहो तुम्हारे चूल्हे पर हांडी भर भूख उबल रही हैदो चील बैठे हैं छत्त परतुम गरीब हो, तीन रुपए का चावल खाते होऔर तुम्हारा नेता तुम्हें समझाता हैउनका देश है, चुपचाप रहो उन्हें तुम नेता बनाते होजिससे वे दिल्ली जाते है, दिसपुर पहुँचते हैउन्हीं की काली गाड़ी के नीचे ख़त्म हो जाती हैतुम्हारी सस्ती जवानीतुम […]
मुझे प्यार करती, ऐ पर-जात लड़की…
(1) गैर विद्रोही कविता की तलाश मुझे गैर विद्रोहीकविता की तलाश हैताकि मुझे कोई दोस्तमिल सके।मैं अपनी सोच के नाखूनकाटना चाहता हूँताकि मुझे कोईदोस्त मिल सके।मैं और वहसदा के लिए घुलमिल जायें।पर कोई विषयगैर विद्रोही नहीं मिलताताकि मुझे कोई दोस्त मिल सके। (2) ये रास्तेधरती और मंगल के नहींजिन्हें राकेट नाप सकते हैंना ये रास्ते दिल्ली और मास्को या वाशिंगटन […]
जाति कहाँ नहीं? – एक स्त्री का परिपेक्ष्य
डॉ अमृतपाल कौर (Dr. Amritpal Kaur) परख हो यदि नज़र मेंतो कहाँ नहीं अस्त्तित्व जाति का स्त्री के पूर्ण समर्पण में,पुरुष की मर्दानगी के अंहकार में स्त्री की यौनि मेंपुरुष के लिंग में कन्या की योनिच्छद की पहरेदारी मेंकन्या के दान में बेटी पैदा होने के गम मेंबेटा पैदा होने की खुशी में लज्जित की गईं नन्ही बच्चियों कीअविकसित यौनियों […]
जातियों के झुण्ड; हिन्दू सभ्यता की ऊँची इमारत; दो कविताएँ
जातियों के झुण्ड निकल चुके हैंजातियों के झुण्डअपनी पीठ पर उठायेवर्णाश्रम का बोझजो उठाये जा रहे सदियों से बोझ जो सदियों से थोपे गयेब्राह्मणों के द्वाराखेत की पगडंडियों से लेकरगांव की गलियों तकसड़कों से लेकर हाईवे के सन्नाटों तकये चले जा रहे। इन जातियों के झुंडों ने बनाई है इमारतेंउगाई हैं फसलें, भरे हैं पेट परजीवियों के सहे हैं मार, […]
क्या ब्राह्मण हिट-एंड-रन करते हैं?!
कुफिर (Kuffir) क्या ब्राह्मण अपनी गाड़ी से किसी को उड़ा कर वहाँ से भाग जाते हैं? मतलब: क्या ब्राह्मण मोटर दुर्घटना का कारण बनते हैं और भाग जाते हैं? हालिया की दो घटनाएं कहती हैं कि वे ऐसा करते हैं। पहली घटना एक फिल्म की है, जो कि एक कल्पना की दुनिया वाला काम है; दूसरी है एक वास्तविक घटना […]