कब तक ढोते रहें मैला? और क्यूँ ढोयें??

Dhamma

धम्म दर्शन निगम (Dhamma Darshan Nigam)  कौन हैं ये सफाई कर्मचारी? सफाई कर्मचारी, मतलब वे लोग जो घरों में टॉयलेट/शौचालय साफ करने आते हैं, घरों से कूड़ा लेके जाते हैं, गली-सड़क पर झाड़ू लगाते हैं, और वो भी जो बड़े-बड़े कूड़े के ढेर से कूड़ा गाड़ी में भरकर ले जाते हैं। किसी भी आम इंसान को ये काम एक बहुत […]

COVID-19, सामाजिक दूरी: मिथकों के जलवे

Istikhar lochan

इस्तिखार अली और लोचन (Istikhar Ali & Lochan) भारत एक मिथक प्रधान देश है. शादी ब्याह से लेकर बिमारियों तक में ये मिथक जाति प्रेरक मिथकों के प्रिज़्म से जब गुज़रते हैं जिससे  देश की सही रंगत भी सामने आ जाती है. मिथक बिमारियों से भी घातक है. कोरोनावायरस (COVID-19) के चलते सामाजिक दूरी का भी यही फंडा है. भले […]

तो क्या इन सब को ऐसे ही मरने दिया जाए?

Rupali Jadhav

रूपाली जाधव (Rupali Jadhav) बड़े दिनों बाद आज घरवालों से बात हुई जिसमें सबसे करोना के ऊपर ही बात चली. मैंने घरवालों से हालचाल पूछा और पूछा कि बस्ती (पुना की एक बड़ी बस्ती जिसका नाम काशेवाडी है) में क्या चल रहा है? तब मां ने कहा कि हर कोई उदास बैठा है, हर किसी के मन में सवाल है […]

वैश्विक चुनौतियाँ और भारत मे प्रचलित सभ्यता व धर्म

sanjay jothe

संजय श्रमण जोठे (Sanjay Shraman Jothe) जब जिंदगी पर मौत का साया मंडरा रहा होता है, तभी जीवन और धर्म से जुड़ी असली सच्चाईयों की खोज करने की इच्छा जागती है। भारत में प्राचीन समय में गौतम बुद्ध के द्वारा दिए गए दर्शन को समझने का यही ठीक समय है। गौतम बुद्ध ने जिस प्रकार से प्रकृति और जीवन की […]

गौतम बुद्ध, जिद्दू कृष्णमूर्ति और युवाल नोवा हरारी को ध्यान से पढ़िए-सुनिए

sanjay sharman jothe

संजय श्रमण जोठे (Sanjay Shraman Jothe) हमारे दौर मे युवाल नोवा हरारी अपनी किताबों मे इस बात को बहुत अच्छे से समझा चुके हैं कि इंसानियत के सामने वास्तविक खतरे कौन से होते हैं और इंसानियत उनसे बचने के लिए क्या क्या करती आई है। पिछले 70 सालों मे परमाणु हथियारों ने जो खतरा पैदा किया उसके नतीजे मे ग्लोबलाइज्ड […]

बात गोगोई से निकली है, तो यू.यू. ललित और ए.के. गोयल तलक जाएगी

Vikas Verma

विकास वर्मा (Vikas Verma) पूर्व मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई को कल राम मंदिर मुद्दे पर (निहायती घटिया) फैसला और राफेल मुद्दे पर नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट देने का ईनाम मिल गया। अक्सर इस तरह के ‘ईनाम’ अपने यहाँ ईमान बेचकर हासिल किए जाते हैं, इसकी एक और इबारत पूर्व मुख्य न्यायधीश ने लिख दी है। इतिहास गवाह रहा है […]

मिशन के रास्ते पर चलते हुए- मान्यवर कांशी राम

Kanshi Ram Pic

मिशन के रास्ते पर चलते हुए बेईज्ज़ती भी होगी, चोट भी लगेगी, ज़ख्म भी मिलेंगे और घुसपैठिये भी मिलेंगे, लेकिन आपको सावधान रहना होगा- साहेब कांशी राम पम्मी लालोमज़ारा (Pammi Lalomazara)  उपरोक्त शब्द साहेब ने 14 अक्टूबर 1981 से लेकर 18 अक्टूबर 1981 तक चंडीगढ़ के 17 सेक्टर के परेड ग्राउंड में चले पांच दिन तक बामसेफ के तीसरे राष्ट्रिय […]

हकीकत बन रहा साहब कांशी राम का ‘बहुजन समाज’

satvendra madara

सतविंदर मदारा (Satvendar Madara) 6000 से ज़्यादा जातियों में बटे हुए OBC, SC, ST और इनमें से धर्म परिवर्तित लोगों को एकजुट करने के लिए, जिस ‘बहुजन समाज’ की सोच साहब कांशी राम ने बनाई थी, अब वो हकीकत बनती जा रही है. देश की आबादी का 85% से भी ज़्यादा यह वर्ग – देर से ही सही, इस ज़रूरत […]

अमर स्वतंत्रता संग्रामी, क्रांतिकारी बाबूराव शेडमाके: आज 187वीं जयंती पर विशेष

Surya Bali

डॉ सूर्या बाली ‘सूरज धुर्वे’ (Dr. Surya Bali ‘Suraj Dhurve’)  कहते हैं अगर मानव जीवन मिले तो उसे मानव की तरह ही जीना चाहिए, चाहे वो जीवन कुछ ही दिनों का क्यूँ न हो। कुछ लोग पूरी ज़िंदगी निरर्थक ही गुज़ार देते हैं और कुछ लोग कम उम्र में ही वीरता पूर्ण और सम्मानजनक जीवन जीकर इस संसार से विदा […]

साम्प्रदायिक दंगे और भारतीय पुलिस: पुस्तक समीक्षा

लेनिन मौदूदी (Lenin Maududi) किताब: साम्प्रदायिक दंगे और भारतीय पुलिस लेखक: विभूति नारायण राय प्रकाशक: राधाकृष्ण पेपरबकैस तीसरा संस्करण: 2016, पेज: 165 मूल्य: 150₹ इस बात को साफ़-साफ़ समझ लें ‘दंगे’ साम्प्रदायिकता परिणाम होते हैं, साम्प्रदायिक मानसिकता का अंतिम फल होते हैं. सब से पहले आपके विचार हिंसक होते हैं फिर वह हिंसा आप के व्यवहार में आती है. यही […]