मंजिल-ए-मक़सूद मान्यवर कांशी राम को याद करते हुए

गुरिंदर आज़ाद (Gurinder Azad) एक बार कांशी राम साहेब कार में अपने सहयोगियों के साथ कहीं जा रहे थे. उनकी तबियत जरा नासाज़ थी. एक सहयोगी ने शायद साहेब को रिझाने के लिए कहा, ‘साहेब, कहिये, क्या चाहिए आपको? आप जो चाहोगे मैं वही पेश करूंगा आपके लिए.’ साहेब ने कहा, ‘क्या, सच में?’. ‘जी बिलकुल’, जोशीला जवाब आया. ‘तो मुझे कहीं से समय […]

हकीकत बन रहा साहब कांशी राम का ‘बहुजन समाज’

satvendra madara

सतविंदर मदारा (Satvendar Madara) 6000 से ज़्यादा जातियों में बटे हुए OBC, SC, ST और इनमें से धर्म परिवर्तित लोगों को एकजुट करने के लिए, जिस ‘बहुजन समाज’ की सोच साहब कांशी राम ने बनाई थी, अब वो हकीकत बनती जा रही है. देश की आबादी का 85% से भी ज़्यादा यह वर्ग – देर से ही सही, इस ज़रूरत […]