दीपशिखा इंन्द्रा (Deepshikha Indra) एक रोज़ मैंने एक छोटा सा लेख (प्रेम के सही मायने) प्रेम के विषय पर लिखा था. प्रेम/प्यार को सभी अपने हिसाब और अनुभव से बयाँ करते हैं. मैंने भी इसे समझने का प्रयास किया. प्रेम की आवश्यकता तो हर जगह ही है लेकिन सामाजिक रिश्तों खासतौर पर वैवाहिक जीवन में इसका अभाव जिंदगी को पीड़ा से […]
मंजिल-ए-मक़सूद मान्यवर कांशी राम को याद करते हुए
गुरिंदर आज़ाद (Gurinder Azad) एक बार कांशी राम साहेब कार में अपने सहयोगियों के साथ कहीं जा रहे थे. उनकी तबियत जरा नासाज़ थी. एक सहयोगी ने शायद साहेब को रिझाने के लिए कहा, ‘साहेब, कहिये, क्या चाहिए आपको? आप जो चाहोगे मैं वही पेश करूंगा आपके लिए.’ साहेब ने कहा, ‘क्या, सच में?’. ‘जी बिलकुल’, जोशीला जवाब आया. ‘तो मुझे कहीं से समय […]