व्यंग्य नीरज ‘थिंकर’ (Neeraj Thinker) बात जब भी सामाजिक उत्थान की आती है जिसमें खासकर ब्राह्मणवाद के ज़रिये हाशिये पर धकेल दिए गए वंचित समाज की स्थिति में सुधार की बात हो तो ब्राह्मण वर्ग से आने वाला एक तबका एक दम इसमें कूद पड़ता है. समझ में यें नहीं आता है कि इनको सामाजिक परिवर्तन की ज्यादा उत्सुकता या […]