देवी प्रसाद (Devi Prasad) मुझे अभी भी याद है बचपन का वो दिन जब ग्रामीण दलित-बहुजन महिलाएं स्थानीय भाषाओं में लोकगीत गाते हुए वोट डालने जाती थी, और गाने का मुखड़ा होता था- “चला सखी वोट दय आयी, मुहर ‘पंजा’ पर लगाई.” दलित-बहुजन समाज पर अनेक लेख पढ़ने-लिखने के पश्चात मेरा ध्यान उन गाती हुयी ‘मतदाताओं’ और उस समाज के […]