संजय जोठे (Sanjay Jothe) जर्मनी और रवांडा जैसे कुछ अफ्रीकी देशों में कई सारे होलोकॉस्ट म्यूज़ियम हैं. स्कूल कॉलेज के बच्चों को वहां दिखाया जाता है कि हिटलर के दौर में या हुतु तुत्सी जातीय हिंसा के दौर में किस नँगाई का नाच हुआ था, कैसे पढ़े लिखे समझदार लोग जानवर बन गए थे और एकदूसरे की खाल […]
साहब कांशी राम और ‘दलित’ शब्द का सवाल?
सतविंदर मदारा (Satvendar Madara) आज पूरे भारत और यहाँ तक कि विश्वभर में ‘दलित’ शब्द के इस्तेमाल को लेकर समाज, विशेषकर, बहुजन समाज सहमति-असहमति की दो रायों के बीच बंट गया है. जहाँ एक ओर ब्राह्मणवादी मीडिया और समाज इसे बढ़ा-चढ़ा कर इस्तेमाल कर रहा है, वहीं ST, SC, OBC की मूलनिवासी बहुजन जातियाँ भी इस विषय पर बंटी हुईं हैं। […]