0 0
Read Time:5 Minute, 8 Second

प्रो० अहमद सज्जाद

बात आज़ादी से पहले की है। जब मुस्लिम कांफ्रेंस द्वारा आयोजित (15-16 नवंबर 1930 ई०) अधिवेशन में उसने उस वक़्त की सभी बड़े छोटे मुस्लिम संगठनो को आमन्त्रित किया गया था। मुस्लिम कांफ्रेंस और उसके अध्यक्ष बैरिस्टर नवाब मुहम्मद इस्माईल खाँन का ये उद्देश्य था कि सारे मुस्लिम संगठनो को एक मंच पे लाया जाया। इस अवसर पर मौलाना अली हुसैन आसिम बिहारी को भी आमन्त्रित किया गया था। मौलाना ने क़ौम (समाज) के इत्तेहाद (एकता) और इत्तेफ़ाक़ (एक राय होना/ मेल) पर एक बेहतरीन भाषण भी दिया।

लेकिन जब उन्होंने जमियतुल मोमिनीन(१) और जमियतुल क़ुरैश(१) जैसे पसमांदा (पिछडो, दलितों और आदिवासी) संगठनो की भागेदारी की बात किया और कहा कि “आप इन दोनो संगठनो से जुड़े लोगो को भी बज़ाब्ता (बॉय लॉज़) अपने संगठन में जगह दें जैसा कि आप ने खिलाफत आंदोलन(२), मुस्लिम लीग(२), मजलिसे अहरार(२) और जमियतुल उलेमा(२) से जुड़े लोगो को दिया है।” इसके जवाब में नवाब साहिब ने कहा कि आप पहले इन संगठनो से आवेदन पत्र दिलवाये फिर उन पर विचार किया जायेगा।

जब मौलाना अली हुसैन आसिम बिहारी ने पूछा कि क्या आप ने खिलाफत आंदोलन, जमियतुल उलेमा, मजलिसे अहरार और मुस्लिम लीग जैसे अन्य दूसरे संगठनो से आवेदन पत्र लिया था? अगर हाँ तो वो आवेदन पत्र दिखलायें। उस सवाल पर नवाब साहिब आंय बांय करने लगे। फिर भी मौलाना के बहुत असरार पे नवाब साहिब ने इन पसमांदा संगठनो (जमियतुल मोमिनीन और जमियतुल क़ुरैश) को मुस्लिम कांफ्रेंस में शामिल करने या ना करने के फैसले को  एक सब-कॉमेटी गठित  करके उसके हवाले कर दिया। इस कॉमेटी में सिर्फ अशराफ(३) को ही मेंबर बनाया गया था। भैया जी(४) के बहोत असरार और मान मनव्वल के बाद भी नवाब साहिब ने मौलाना अली हुसैन आसिम बिहारी को कॉमेटी का मेंबर ना बनाया।

कॉमेटी ने इन संगठनो को शामिल करने के दावे को ये कह के रद्द कर दिया कि” जमियतुल मोमिनीन और जमियतुल क़ुरैश जैसे रज़िलो (मलेछो) के संगठनों को शामिल करना किसी भी तरह से अशराफ के हक़ में ना होगा, ये लोग तो हर मीटिंग और कांफ्रेंस में बड़ी मुस्तैदी एवं पाबन्दी से शामिल होंगें और हमारे लोग कभी हाज़िर होंगें और कभी नहीं होंगें, लेकिन ये लोग तो सत्तू बांध कर आ धमकेंगें और जब तक जलसा खत्म ना होगा डटे रहेंगे, जिसका नतीजा ये होगा कि जो चाहेंगे कर लेंगें।”

ख़ुदावन्द यह तेरे सादा  दिल बन्दे किधर जायें

के दरवेशी भी अय्यारी है सुल्तानी भी अय्यारी

 ——————————————————-

शब्दावली

(१) पसमांदा (पिछड़े, दलित) संगठन

(२) विदेशी नस्ल/ अभिजात्य/ उच्च वर्ग के नेतृत्व वाले संगठन

(३) (शरीफ/ अच्छा का बहुबचन)/ मुस्लिम अभिजात्य/ विदेशी आक्रांता/ कुलीन वर्ग

(४) ख़ान बहादुर राशीदुद्दीन जमियतुल क़ुरैश के अध्यक्ष

~~~

प्रो० अहमद सज्जाद सेवानिवृत संकाय अध्यक्ष मानविकी  प्रभाग रांची विश्विद्यालय एवं मरकज़-ए-अदब-व-साइंस संस्था के प्रमुख कार्यकारी हैं। आप ने साहित्य, शिक्षा,यात्रा वृतांत,जीवनी, इस्लामी शिक्षा सहित देश विदेश की समस्याओं पर दर्जनों किताबे और आलेख लिखे हैं। प्रस्तुत आलेख उनकी किताब ‘बंदये मोमिन का हाथ’ से लिया गया है. 

आर्टिकल उपलब्ध कराने के लिए फ़ैयाज़ अहमद फ़ैज़ी का धन्यवाद्.

Magbo Marketplace New Invite System

  • Discover the new invite system for Magbo Marketplace with advanced functionality and section access.
  • Get your hands on the latest invitation codes including (8ZKX3KTXLK), (XZPZJWVYY0), and (4DO9PEC66T)
  • Explore the newly opened “SEO-links” section and purchase a backlink for just $0.1.
  • Enjoy the benefits of the updated and reusable invitation codes for Magbo Marketplace.
  • magbo Invite codes: 8ZKX3KTXLK
Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *