
डॉ मनीषा बांगर (Dr. Manisha Bangar)
14 फरवरी 2019 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में आतंकी हमले में 42 सीआरएपीएफ के जवान मारे गए। इनमें एक भी ब्राह्मण नहीं था। इस हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि देश का खून खौल रहा है। हालांकि अपने मुंह से उन्होंने यह नहीं कहा कि भारत के सैनिक बदला लेने के लिए तारीख, समय और स्थान खुद तय करें, इसके बावजूद कई अखबारों के ज़रिये उनके मुंह में डालकर यह बात कही गई है।
सीधे-सीधे शब्दों में कहें तो जंग के हालात पैदा किए जा रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी राष्ट्र प्रेम के अनार फोड़े जा रहे हैं। प्रधानमंत्री के ट्विटर हैंडलर पर इस तरह के संदेश दिए जा रहे हैं कि भारत आज या कल में पाकिस्तान पर चढ़ाई कर देगा। कई लोग तो यह भी कह रहे हैं कि वे भी सीमा पर पाकिस्तानी सैनिकों को मारने के उतावले हो रहे हैं। इनमें संघी भी हैं।
यानी पूरे देश में यह माहौल बनाया जा रहा है कि देश जंग के लिए तैयार रहे। यह जंग कब होगी, इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी जा रही है। लेकिन पुलवामा में हुई घटना की जिम्मेवारी न तो पीएम ले रहे हैं और न ही उनके सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल। ऐसे में सवाल तो उठते ही हैं।
ये सवाल नहीं भी उठते अगर 14 फरवरी को ही जिस समय भारत के सैनिक मारे जा रहे थे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी के अन्य नेतागण कहीं चैन की बंसी नहीं बजा रहे होते? बिहार में तो गजब हुआ। वहां के भाजपाई राज्यपाल ने सैनिकों की मारे जाने की सूचना मिलने के बाद शोक संदेश अखबारों को भिजवाने के बाद डिनर पार्टी का आयोजन किया। इस मौके पर वहां के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी मुस्कराते नजर आए।
हम जंग नहीं चाहते हैं क्योंकि हम जानते हैं क जंग होगी तो कौन मारे जाएंगे। वे सैनिक जो जंगे-मैदान में सचमुच लड़ाई लड़ते हैं, उनमें कोई ब्राह्मण नहीं होता। अभी पुलवामा में जो 42 जवान मारे गए, उसकी सूची को ही देख लें। एक भी ब्राह्मण नहीं है। लेकिन ऐसा नहीं है कि हम भारत के अनुसूचित जाति, आदिवासी और ओबीसी अपने देश की रक्षा नहीं करना चाहते हैं। हम तो अपने दुश्मनों को नेस्तनाबूद करने को तैयार हैं। लेकिन हमारे सामने वे दुश्मन भी हैं जो देश की सीमा के भीतर सदियों से हमारा हक मार रहे हैं। अभी आर्थिक आधार पर आरक्षण देकर सरकार ने सवर्णों को हमारे अधिकार पर डाका डालने का औपचारिक लाइसेंस दे दिया है। वहीं विश्वविद्यालय के बजाय विभाग के आधार पर आरक्षण देकर भी यही किया जा रहा है। जमीन और उत्पादन के संसाधनों के समुचित वितरण का सवाल भी हमारे सामने है।
सच्चाई तो यह है कि इस देश में करोड़ों पूर्व अछूत, आदिवासी और ओबीसी भूमिहीन हैं। जब जमीन ही नहीं है तो कैसा राष्ट्र और किसका राष्ट्र?
बहरहाल, चुनाव के समय पर जंग का माहौल बनाकर नरेंद्र मोदी किसे डराना चाहते हैं? उन्हें हमला बोलना हैं तो बोल दें, उससे हमें कोई लेना-देना नहीं है। हम तो अपने अधिकारों के लिए लड़ेंगे फिर चाहे वह यूरेशियाई लुटेरे हों या फिर पाकिस्तानी या फिर कोई और।
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मनीषा बांगर पेशे से डॉक्टर व् बामसेफ की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं.