दलितों के खिलाफ़ गाय एक राजनीतिक हथियार के रूप में

गुरिंदर आज़ाद समसामयिक मुद्दों पर साक्षात्कार और डॉक्यूमेंट्रीज की आंबेडकर युग श्रृंखला में, गुरिंदर आज़ाद राउंड टेबल इंडिया के लिए अरविंद शेष और रजनीश कुमार का इंटरव्यू लेते हैं. दोनों पेशे से पत्रकार और सामाजिक चिन्तक हैं. वे पूरे मुद्दे को विभिन्न आयामों से विश्लेषित करते हैं. गुरिंदर आज़ाद द्वारा लिया गया  यह इंटरव्यू 13 अगस्त 2016 को Youtube पर और […]

‘कबाली’ : दलित दखल के दम से बदलता परदा

  अरविंद शेष   फिल्म में ‘कबाली’ का डायलॉग है- “हमारे पूर्वज सदियों से गुलामी करते आए हैं, लेकिन मैं हुकूमत करने के लिए पैदा हुआ हूं। आंखों में आंखें डाल कर बात करना, सूट-बूट पहनना, टांग के ऊपर टांग रख कर बैठना तुमको खटकता है, तो मैं ये सब जरूर करूंगा। मेरा आगे बढ़ना ही मसला है, तो मैं […]

गुजरात दलित विद्रोह- स्वागत, इस सामाजिक क्रांति का

अरविंद शेष गुजरात में दलितों का विद्रोह खास क्यों है? यह इसलिए कि, जिस गाय के सहारे आरएसएस-भाजपा अपनी असली राजनीति को खाद-पानी दे रहे थे, वही गाय पहली बार उसके गले की फांस बनी है। बल्कि कहा जा सकता है कि गाय की राजनीति के सहारे आरएसएस-भाजपा ने हिंदू-ध्रुवीकरण का जो खेल खेला था, उसके सामने बाकी तमाम राजनीतिक […]

गोहाना, दुलीना, मिर्चपुर… जुल्म की कहानी जारी है…

अरविंद शेष (Arvind Shesh) अप्रैल, 2010 में हरियाणा के हिसार जिले में मिर्चपुर गांव में बाल्मीकी बस्ती के एक कुत्ते के भौंक देने के बाद बाल्मीकि बस्ती पर वहां के जाटों ने हमला कर दिया था और कई घर फूंक डाले थे। उसमें एक विकलांग लड़की सुमन को जिंदा जला दिया गया और उसके पिता को भी। उस घटना के […]

काली परतों वाली बहुत अच्छी सड़कें और खाक काली बस्ती…

  अरविंद शेष (Arvind Shesh) बिहार की सड़कों के बारे में कुछ फैशनेबुल जुमले जब दिमाग में बैठे हों और आप किसी दूसरे राज्य की सड़कों से गुजर रहे हों तो यह बात एक ‘उम्मीद’ की तरह आसपास मंडराती रहती है कि कम से कम देहाती इलाकों में बिहार जैसी सड़कें जरूर देखने को मिल जाएंगी। लेकिन नौ मई की […]