डॉ सूर्या बाली ‘सूरज धुर्वे’ (Dr. Surya Bali ‘Suraj Dhurve’) कहते हैं अगर मानव जीवन मिले तो उसे मानव की तरह ही जीना चाहिए, चाहे वो जीवन कुछ ही दिनों का क्यूँ न हो। कुछ लोग पूरी ज़िंदगी निरर्थक ही गुज़ार देते हैं और कुछ लोग कम उम्र में ही वीरता पूर्ण और सम्मानजनक जीवन जीकर इस संसार से विदा […]
साम्प्रदायिक दंगे और भारतीय पुलिस: पुस्तक समीक्षा
लेनिन मौदूदी (Lenin Maududi) किताब: साम्प्रदायिक दंगे और भारतीय पुलिस लेखक: विभूति नारायण राय प्रकाशक: राधाकृष्ण पेपरबकैस तीसरा संस्करण: 2016, पेज: 165 मूल्य: 150₹ इस बात को साफ़-साफ़ समझ लें ‘दंगे’ साम्प्रदायिकता परिणाम होते हैं, साम्प्रदायिक मानसिकता का अंतिम फल होते हैं. सब से पहले आपके विचार हिंसक होते हैं फिर वह हिंसा आप के व्यवहार में आती है. यही […]