सतविंदर मनख (Satvinder Manakh)
कुछ ही हफ्ते पहले, 14 सितंबर, 2020 को उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में – 19 साल की मनीषा वाल्मीकि का 4 सवर्ण ठाकुर जाति के लड़कों ने बलात्कार किया। 29 सितंबर, 2020 को उस बच्ची की दर्दनाक मौत हुई। मनीषा के बलात्कार और हत्या काण्ड ने, आज 21वीं सदी में भी सवर्णों और खासकर ठाकुरों में किस कदर जातीय अहंकार भरा हुआ है – को एक बार फिर उजागर कर दिया है। वो बहुजन समाज की बहन-बेटियों के साथ, अपने इस घमंड को पूरा करने के लिए किस हद तक गिर सकते हैं, इससे न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया सकते में है।
मनीषा के बलात्कार और हत्या के विरोध में, अब भारत समेत कई और देशों में भी प्रदर्शन हो रहे हैं।
बताया जा रहा है कि मनीषा 14 सितंबर की शाम, पशुओं का चारा लेने ठाकुरों के खेतों पर गई थी। उसे अकेला पाकर, चार ठाकुर लड़कों ने न सिर्फ उसका बलात्कार किया बल्कि उसे इस कदर घसीटा कि उसकी रीढ़ की हड्डी भी तोड़ डाली। वो कोई बयान न दे सके, इसके लिए उन्होंने उसकी जीभ भी काट दी। लेकिन कुछ का मानना है कि मनीषा ने अपने बचाव के लिए चीख-पुकार की, जिस वजह से उसकी जीभ कटी।
आम तौर पर जब भी ऐसा कोई काण्ड, ठाकुरों या सवर्णों द्वारा – OBC, SC, ST की महिलाओं के साथ किया जाता है; तो वो अदालतें, मीडिया, सत्ता, प्रशासन आदि अपने हाथों में होने के कारण; हमेशा बच निकलते हैं। इसकी अनगिनत मिसालें हैं और सबसे बड़ी मिसाल, 1979 में ठाकुरों ही द्वारा, पिछड़ी जाति की फूलन देवी के साथ किया गया बलात्कार है। जब फूलन देवी को ब्राह्मणवादी सरकारों और अदालतों ने इंसाफ नहीं दिया, तो 14 फरवरी, 1981 को मजबूर होकर उन्होंने खुद इंसाफ लिया।
तब साहेब कांशी राम ने भी फूलन देवी की प्रशंसा में कहा था कि,
“फूलन देवी कि पलटवार करने की कार्यवाही – आने-वाले समय में उत्पीड़ित भारतीयों के लिए हमेशा प्रेरणा का कार्य करती रहेगी।”
जैसे ही मनीषा के चार ठाकुर लड़कों द्वारा बलात्कार की खबर फैली, उसी दिन से फूलन देवी की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं।
मनीषा के मामलें में एक खास बात यह है कि उसने दुनिया छोड़ने से पहले, अपने साथ हुए बलात्कार और उसे अंजाम देने वाले ठाकुर लड़कों के नाम बता दिए, जिन्हें विडिओ में रिकार्ड कर लिया गया। अब लाखों लोग, उस विडिओ को देख चुके हैं। भारत सहित कई देशों के संविधानों में इसे, “Dying Declaration” के नाम से जाना जाता है, जो अपने-आप में एक पुख्ता सबूत होता है। यह माना जाता है कि जब किसी व्यक्ति को पता हो कि अब उसकी मौत होने जा रही है, तो वो कभी झूठ नहीं बोलता।
इसलिए अब मनीषा का बलात्कार और हत्या किसने की ? इसे लेकर कोई शक वाली बात ही नहीं बची है।
लेकिन फिर भी भारत का ब्राह्मणवादी मीडिया, मनीषा के कातिलों को बचाने में लगा है। उसके द्वारा तरह-तरह की अफवाहें फैलाई जा रही हैं। कभी वो कह रहा है कि रेप तो हुआ ही नहीं, तो कभी कह रहा है कि मनीषा वाल्मीकि के परिवार वालों ने ही उसकी हत्या की, तो कभी कुछ और।
अमरीका में 1960 के दशक तक, यूरोपीय-गोरों द्वारा अफ्रीकी-कालों पर बहुत ज़ुल्म किया जाता था। इसके खिलाफ “Civil Rights Movement”(नागरिक अधिकार आंदोलन) की शुरुआत हुई, जिसका नेत्रत्व नोबेल पुरस्कार विजेता, डॉ. मार्टिन लूथर किंग ने किया। लेकिन इसके बावजूद, गोरों का अश्वेतों पर ज़ुल्म बढ़ता चला गया और नस्लवादी गोरों ने डॉ. किंग की भी गोली मारकर हत्या कर दी।
इसी दौरान, एक और अश्वेत नेता, Malcolm X भी तेजी के साथ उभरे।
उनके विचार डॉ. किंग से अलग थे। वो कहते थे कि हमें संघर्ष तो कानून के दायरे में रहकर शांतमय तरीके से ही करना है, लेकिन अगर हमारे ऊपर नस्लवादी गोरों ने हमला किया, तो फिर उसका मुंहतोड़ जवाब देने का हमें कानूनी हक है।
अश्वेतों पर हो रहे अत्याचारों को कैसे रोका जा सकता है, इस विषय पर उनका एक बहुत ही चर्चित विडिओ इंटरव्यू भी मौजूद है। मैं उनके अंग्रेजी में दिए गए इस इंटरव्यू का हिन्दी अनुवाद नीचे दे रहा हूँ।
“मैं समझता हूँ कि एक ऐसा समय आएगा, जब अश्वेत लोग नींद से जागेंगे और बौद्धिक तौर पर इतने आज़ाद हो जायेंगे कि वो अपने बारे में उसी तरह सोचेंगे, जिस तरह और लोग अपने बारे में सोचते हैं।
तब एक अश्वेत व्यक्ति, एक अश्वेत व्यक्ति की तरह सोचेगा और वो दूसरे अश्वेत लोगों के लिए भी महसूस करेगा। यह नई सोच और भावना अश्वेत लोगों को एकजुट करेगी और फिर उस मौके पर एक ऐसा माहौल बनेगा कि अगर आपने(गोरों ने) एक अश्वेत व्यक्ति पर हमला किया, तो आपने सभी अश्वेत व्यक्तियों पर हमला किया।
इस तरह की सोच, अश्वेत लोगों को एकजुट करेगी और इस तरह की सोच ही गोरे लोगों द्वारा अश्वेत लोगों पर किये जाने वाले ज़ुल्म का अंत करेगी। यहीं एक चीज़ है, जो इस का खात्मा करेगी न कि कोई सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट या जिला कोर्ट; इस को खत्म करेगी।
यह एक ऐसी चीज़ है, जिसका खात्मा खुद अश्वेत लोगों को खुद ही करना होगा।” – Malcolm X, 11 अक्तूबर, 1963, यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया, बर्कले, अमरीका
Malcolm X के आक्रामक विचारों ने, अमरीका में गोरों और कालों के बीच चल रहे संघर्ष की पूरी दिशा ही बदल डाली।
बहुत से लोग, मनीषा के बलात्कार और हत्या को 16 दिसम्बर 2012 की शाम, दिल्ली में हुए 23 साल की निर्भया के बलात्कार और हत्या से भी जोड़ रहे हैं।
उस काण्ड में लड़की ब्राह्मण जाति से थी और बलात्कारी और हत्यारे ज्यादातर सवर्ण(अक्षय ठाकुर, विनय शर्मा, पवन गुप्ता, मुकेश सिंह, राम सिंह और मोहम्मद अफ़रोज़)।
निर्भया ने भी मनीषा की ही तरह अपनी मौत से पहले, उस घटिया हरकत करने वालों के बारे में अपने बयान दे दिए थे। काफी देर से ही सही, लेकिन इंसाफ हुआ और बलात्कार करने वाले सवर्ण लड़कों को हाल ही में फांसी के तख्ते पर लटकाया गया।
बलात्कारियों और हत्यारों के साथ, ऐसा ही होना चाहिए।
लेकिन अब क्योंकि बलात्कार और हत्या, एक वाल्मीकि – दलित जाति की लड़की का हुआ है और बलात्कार करने वाले सभी-के-सभी, सवर्ण जाति के ठाकुर हैं; तो क्या इस बार वैसा ही इंसाफ होगा, जो निर्भया को मिला?
दोनों मामलें लगभग एक जैसे ही हैं।
अब या तो सवर्ण अदालतें मनीषा के मामले में वही इंसाफ कर दें, जो निर्भया काण्ड में हुआ। लेकिन अगर ऐसा नहीं होता है, तो फिर बहुजन समाज को अब इंसाफ लेना सीखना होगा।
मांगने वालों को तो सिर्फ भीख ही मिलती है।
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सतविंदर मनख पेशे से एक हॉस्पिटैलिटी प्रोफेशनल हैं। वह साहेब कांशी राम के भाषणों को ऑनलाइन एक जगह संग्रहित करने का ज़रूरी काम कर रहे हैं एवं बहुजन आंदोलन में विशेष रुचि रखते हैं। हालही में उनके लेखों की ई-बुक (e-book) ‘21वीं सदी में बहुजन आंदोलन‘ जारी हुई है.
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