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एड0 नुरुलऐन ज़िया मोमिन (Adv. Nurulain Zia Momin)

ये सत्य है कि संघ व उससे से जुड़े संगठनो से सम्बंधित व्यक्तियों, सदस्यों व पदाधिकारियों की टिप्पणियाँ समय-समय पर मुझे बतौर मुस्लिम आहत भी करती रही है और ये सोचने पर मजबूर भी करती रही है कि क्या किसी संगठन के पदाधिकारियों से इस तरह की तर्कहीन व निराधार टिप्पणियों की आशा की जा सकती है। लेकिन मैंने कभी इसको गम्भीरता से नही लिया क्योंकि मेरी फितरत रही है मैं किसी के द्वारा किसी समुदाय, संगठन, व्यक्ति आदि की दुश्मनी अथवा विद्वेष की भावना से की गई किसी टिप्पणी अथवा किसी के द्वारा की गयी किसी तर्कहीन टिप्पणी को देखकर पलभर ठहरकर सोचता जरूर हूँ मगर फिर उसकी अहलियत पर हँसकर सिर झटककर आगे निकल जाता हूँ। संघ अथवा उससे जुड़े संगठनों के पदाधिकारियों आदि की टिप्पणियों पर अब तक मेरा यही रद्दे-अमल रहा है क्योंकि मैं ऐसा समझता रहा हूँ कि ऐसी तर्कहीन टिप्पणी करने वाले या तो टिप्पणी करने में चूक गए हैं या चर्चओं में बने रहने अथवा किसी की ख़ुशनूदी हासिल करने के लिए ऐसी टिप्पणियाँ कर रहे हैं।

मैं उस समय स्तब्ध रह गया जब संघ प्रमुख मोहन भागवत साहब द्वारा इस आशय का बयान दिया गया कि हिन्दुस्तान में रहने वाला हर व्यक्ति हिन्दू है तथा इस बयान को भागवत साहब द्वारा निरन्तर समय-समय पर दोहराया जाता रहा है। उस समय तो मेरी हैरत की सीमा ही नहीं रही जब भागवत साहब द्वारा अपने बयान के पक्ष में तर्क प्रस्तुत करते हुए उदाहरणस्वरूप कुछ देशों के नाम लेकर कहा गया कि जिस तरह जर्मनी, अमेरिका, ब्रिटेन, पकिस्तान आदि में रहने वाले जर्मन अमेरिकी, ब्रिटिश, पाकिस्तानी आदि कहलाता/होता हैं उसी तरह हिन्दुस्तान में रहने वाला हर व्यक्ति हिन्दू है। हालाँकि स्वयं भागवत साहब द्वारा जो तर्क प्रस्तुत किये गए है उन तर्कों से हिन्दुस्तान में रहने वाले हिन्दुस्तानी साबित हो रहे हैं न कि हिन्दू। कम से कम संघ प्रमुख से मुझे ऐसी निराधार तर्कहीन व हास्यास्पद टिप्पणी तथा उसके पक्ष में ऐसे तर्कहीन तर्क की आशा कत्तई नहीं थी।

एक तरफ हिन्दू शब्द को लेकर प्रारम्भ से एक विवाद रहा है जिस पर कई महापुरुषों ने घोर आपत्ति की है, क्योंकि हिन्दू शब्द फ़ारसी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ फ़ारसी शब्दकोषों【1】 में चोर, रहजन (डाकू), लुटेरा, दास (गुलाम) के आया है। फ़ारसी शब्दकोषों को आधार बनाकर मान0 शीतल मरकाम अपनी पुस्तक त्रिइब्लिसी【2】में लिखते है कि हिन्दू शब्द का शाब्दिक अर्थ काला चोर होता है। हिन्दू शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम【3】 मोहम्मद बिन क़ासिम द्वारा 712 ई0 में सिन्ध पर कब्ज़ा करने के बाद सिन्धवासियों के लिए किया गया था। शायद इसी कारण राम मनोहर लोहिया【4】 द्वारा कहा गया कि हिन्दू शब्द एक नकारात्मक शब्द है। तथा दयानन्द सरस्वती【5】ने लिखा कि- “हिन्दू शब्द मुगलों द्वारा दी गई एक गाली है जिसे मैं स्वीकार नहीं कर सकता।” वर्तमान समय में हिन्दू शब्द का प्रयोग सनातन धर्म व उनके अनुयायियों के लिए किया जाता है, इसलिए हिन्दू शब्द पर अब कोई ऐसी टिप्पणी करना जिससे किसी की भावना आहत हो किसी भी तरह से उचित नहीं है। इसलिए इससे पूरी तरह परहेज किया जाना चाहिए। हालाँकि सनातन धर्म के किसी ग्रन्थ में हिन्दू शब्द का प्रयोग धर्म अथवा अनुयायियों के लिए नही किया गया है।

दूसरी तरफ स्वतन्त्रता आंदोलन के काल से ही कुछ लोगों द्वारा हिन्दू शब्द का प्रयोग देश में मौजूद अन्य धर्मों के अनुयायियों विशेषकर मुस्लिमों के विरुद्ध एक हथियार की तरह किया जाता रहा है और भारत को बार-बार हिन्दुस्तान (हिन्दुओं का स्थान) कहा व साबित किया जाता रहा है इसी परिप्रेक्ष्य में भागवत साहब बार-बार देश को हिन्दुस्तान और यहाँ रहने वालों को हिन्दू कह रहे हैं। ऐसा नहीं है कि ये भागवत साहब ने किसी नई साज़िश के तहत ये बात कही है दरअसल ये साज़िश जंगे-आज़ादी के समय से ही की जाती रही है और आज भी उस मानसिकता से ग्रसित लोगों द्वारा भारत को हिन्दुस्तान बनाने की कोशिश की जा रही है। 

संविधान निर्माताओं को शायद इस बात का खूब आभास था कि कुछ लोग भारत को हिन्दुस्तान (हिन्दुओं का स्थान) बनाना चाहते है, सम्भवतः इसीलिए संविधान निर्माताओं ने पूरे संविधान (जो कि अंग्रेज़ी में लिखा गया है) में किसी भी शब्द के स्पष्टीकरण अथवा अनुवाद की आवश्यकता महसूस नहीं की लेकिन जब संविधान में देश का नाम लिखना हुआ तो मात्र “इण्डिया” लिखकर उनको सन्तोष नहीं हुआ क्योंकि उनके सामने इण्डिया को हिन्दुस्तान बनाने की नापाक साज़िश जारी थी इसलिए “इण्डिया” शब्द अर्थात देश के नाम को स्पष्ट करने के उद्देश्य से इण्डिया शब्द का स्पष्टीकरण (अनुवाद) भी कर दिया और भारत विरोधियों की नीयत को भाँपते हुए साफ़-साफ़ शब्दों में संविधान में लिखा कि-“इण्डिया दैट इज़ भारत” (INDIA THAT IS BHARAT)

उक्त स्पष्टीकरण मतलब सिर्फ एक शब्द इण्डिया का स्पष्टीकरण (अनुवाद) करना स्पष्ट करता है कि इण्डिया का मतलब सिर्फ और सिर्फ भारत है, भारत के सिवा कुछ और हो ही नहीं सकता। क्योंकि उनको अन्देशा था कि यदि हमने इण्डिया शब्द का स्पष्टीकरण नहीं किया तो भारत को हिन्दुस्तान बनाने का प्रयास करने वाले देश को हिन्दुस्तान कहेंगे और अवसर पाते ही इण्डिया शब्द का अनुवाद अथवा स्पष्टीकरण करते हुए इण्डिया को भारत की जगह हिन्दुस्तान घोषित कर देंगे और इसी आधार पर देश को मात्र हिन्दुओं का देश घोषित करने का प्रयास करेंगे।

संविधान निर्माताओं के इस तरह के स्पष्टीकरण के बाद भी कुछ लोगों द्वारा संविधान से इतर भारत को हिन्दुस्तान कहना किसी भी तरह से उचित नहीं है। मेरे ख्याल से संविधान की मर्यादा व संविधान निर्माताओं की मंशा को ध्यान में रखते हुए भारत को हिन्दुस्तान कहने पर न सिर्फ रोक लगाई जानी चाहिए बल्कि इसे दण्डनीय अपराध बनाया जाना चाहिए क्योंकि हिन्दुस्तान एक असंवैधानिक नाम है और देश संविधान से चलता है।

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संदर्भ 

【1】गयास, कशफ।
【2】त्रिइब्लिसी शोषण व्यूह विध्वंस भाग-1 पेज न0-110, प्रकाशक प्रबुद्ध भारत पुस्तकालय, नागपुर तृतीय आव्रति दिसम्बर 2011
【3】प्रदीप कुमार मौर्य पेज न0-110, स्रोत त्रिइब्लिसी।
【4】हिन्दुत्व बनाम हिन्दुत्व।
【5】सत्यार्थ प्रकाश।

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नुरुल ऐन ज़िया मोमिन ‘आल इण्डिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ ‘ (उत्तर प्रदेश) केराष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं. उनसे दूरभाष नंबर 9451557451, 7905660050 और nurulainzia@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है.

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