Suresh Jogesh
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सुरेश जोगेश (Suresh Jogesh)
 
Suresh Jogeshसुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरुद्ध कल भारत बंद के दौरान दौरान बाड़मेर में विरोधियों द्वारा जमकर उत्पात मचाया गया। इस दौरान 4 गाड़िया जलायी है जिसमें से 2 गाड़ियाँ चौहटन चौराहे स्थित अम्बेडकर छात्रावास परिसर में खड़ी थी व 2 बाहर। ये सभी गाड़ियाँ sc/st के लोगों की थी। इनके मालिकों की पहचान नीम्बेश नामा पुत्र चमना राम निवासी धोरीमन्ना, खेताराम पुत्र चेनाराम राणासर, अचलाराम निवासी राणासर के रूप में हुई है। इसके अलावा सैंकड़ों वाहनों के शीशे तोड़े गए जो कि लगभग सभी sc/st के लोगों के थे।
 
मैं भी शहर तकरीबन 11:30 बजे पहुंचा था। उस गाड़ी के भी मेरे सामने शीशे तोड़ दिए गए और साथ की सभी सवारियों को हाथों में पत्थर और लाठियां लिए इन उत्पात मचाते लोगों ने खदेड़ दिया। इनके मुंह से जातिसूचक गालियां गूंज रही थी। मैं पहचान छुपाकर आगे बढ़ गया। एक ही फ़ोटो ले पाया, ज्यादा कुछ रिकॉर्ड करने का खतरा नही उठा सकता था ऐसी हालत में।
 
इसके बाद शहर के अंदर आंदोलकारी थे, चौहटन चौराहे पर पुलिस और उनके बगल ही में बाहर की तरफ ये उत्पात मचाते विरोधी जो बाहर से आने वाले अन्य आंदोलकारियों को वापस खदेड़ रहे थे और गाड़ियों के शीशे तोड़ रहे थे। पुलिस हंस-हंसके ये तमाशा देख रही थी। इसके लगभग 2 घंटे बाद यहीं पर खड़ी 4 गाड़ियों को फूँक दिया गया।

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ये सारी घटनाएं चौहटन चौराहे पर हुई जहां करणी सेना डेरा डाले हुए थी। एक तस्वीर जो काफी वायरल हुई, में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि होस्टल की बिल्डिंग पर “राजकीय अम्बेडकर छात्रावास” लिखा है और परिसर में एक जली हुई बोलेरो गाड़ी खड़ी है।
दिन में कई मीडिया चैनलों ने दलितों और करणी सेना में भिड़ंत की खबर भी चलाई, सोशल मीडिया पर भी करणी सेना के लोगों ने खुद इनकी जिम्मेदारी ली।
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उपलब्ध तमाम फ़ोटो और वीडियो भी यही बयां करते है।
साथ ही न कोई सवर्णों की गाड़ी जलायी गयी है न ही कोई दुकान वगैरह। ऐसे में यह समझना ज्यादा कठिन नही होगा कि इसे आंदोलन कर रहे sc/st के लोगों ने अंजाम दिया है या इसके विरोध में उत्पात मचा रही करणी सेना ने।
 
शहर के अंदर तकरीबन 40 हजार लोग बंद के दौरान इकट्ठा हुए थे लेकिन गौरतलब है कि शहर के अंदर न आगजनी की घटना हुई न किसी वाहन के साथ तोड़फोड़ हुई।
 
आज के अखबारों में पत्रिका और भास्कर में इसके एकदम विपरीत छपा है। किसी ने लिखा है कि अज्ञात लोगों ने जलाया तो किसी ने यहां तक लिख दिया कि उपद्रव कर रहे आंदोलनकारियों ने जलाया। करणी सेना का नाम ही गायब है दोनों अखबारों में। पता करने पर मालूम हुआ कि पत्रिका व भास्कर के स्थानीय पत्रकार तकरीबन सभी राजपूत या राजपुरोहित हैं।
 
इन्हीं अखबारों ने पद्मावती फ़िल्म के नाम में जरा से परिवर्तन के लिए देश झुलसाये जाने को अस्मिता की लड़ाई बताया था।
आज की अपुष्ट खबर है कि तकरीबन 70 लोगों को हिरासत में डाल दिया है जिनमें से करीब 30 लोगों पर हत्या वे प्रयास (307), लूट, राजकार्य में बाधा डालने जैसी संगीन धाराओं के साथ मुकदमे की तैयारी चल रही है। सभी नेताओं पर नामजद मुकदमे दर्ज करवाये गए हैं और सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को विशेष रूप से निशाना बनाया जा रहा है। पुलिस द्वारा कल और परसों देर रात 10 बजे तक घरों में जाकर धरपकड़ करने की खबर है इसके अलावा अन्य इलाकों में भी गिरफ्तारी के लिए टीमें भेजी गई है। sc/st के लोगों का कहना है कि उनके मुकदमे दर्ज नही कर रही है पुलिस जबकि नुकसान सारा उनका हुआ है। जो भी मुकदमे दर्ज करवाने गए उलटे उन्हें ही अंदर कर दिया गया। ऐसे में अब कोर्ट के माध्यम से मुकदमे दर्ज करवानेका सोच जा रहा है। करणी सेना के या अन्य किसी उच्च जाति के युवकों की गिरफ्तारी की कोई खबर नही है।
 
पुलिस प्रशासन और मीडिया के रवैये से समझा जा सकता है कि sc/st एक्ट की जरूरत क्यों है, इसके अलावा न्यायालय में भी सवर्ण आधिक्य है लेकिन sc/st को यह सब फायदा नही मिलता है।
 
विपक्ष के कुछ नेता और कुछ सामाजिक कार्यकर्ता भी कल जिला प्रशासन से मिले और एकतरफा की जा रही कार्यवाही के लिए विरोध जताया। इनमें पूर्व सांसद हरीश चौधरी, राजस्व मंत्री हेमाराम चौधरी, जिला प्रमुख प्रियंका मेघवाल, पूर्व विधायक मदन प्रजापत, पूर्व मंत्री अमीन खान, बच्चू खान शामिल थे।
 
वहीं खबर मिलने तक संयोजक लक्ष्मण वडेरा ने एकतरफा कार्यवाही का आरोप लगाते हुए ज्ञापन सौंपा है।
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सुरेश जोगेश मानवाधिकार कार्यकर्ता व स्वतंत्र पत्रकार हैं.

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