मनीष कुमार चांद (Manish Kumar Chand)
कुछ लोग सोचते हैं कि पश्चिम बंगाल त्रिपुरा हो जायेगा । उन्हें इन तथ्यों का ध्यान रखना चाहिए ।
पश्चिम बंगाल में कट्टर हिंदुत्व के चेहरों को बीजेपी ने प्रचार की लिए उतारा था। उसमे यूपी के मुख्यमंत्री योगी जी , खुद अमित शाह, नरेंद्र मोदी और स्मृति ईरानी। पहले अमित शाह को लेते हैं – 13 मई तक वे कहते रहे कि मैं पश्चिम बंगाल में जय श्री राम बोलूंगा कोई मुझे रोक सकता है क्या। फिर उन्होंने बोला की अगर बीजेपी की सरकार बनी तो पश्चिम बंगाल में बौद्ध, इसाई, हिन्दू को छोड़कर किसी बांग्लादेशी को भारत की नागरिकता नहीं दी जाएगी। जब उससे भी काम नहीं चला तो उन्होंने कहा कि मैं बंगाल में बाहरी नहीं हूं और अंत में हनुमान का मुखौटा पहनाकर बड़ा बाज़ार के व्यस्त मार्केट में बिना परमिशन रोड शो करने उतर गए। हंगामा हुआ जान बचाकर दिल्ली भागे। दिल्ली में आकर कहा – दादा रे दादा, अगर सीआरपीएफ नहीं रहती तो मेरा जान ही नहीं बचता! इसी से अंदाजा लगाइए बंगाल बीजेपी के लिए कितना टफ है। इसके पहले 13 मई को उन्होंने कहा था कि हम बंगाल में 23 सीट जीत रहे हैं। अब एग्जिट पोल ने उन्हें कूंख़ -कांख कर 13 सीट दे रहे हैं। इसके आगे उनकी भी हिम्मत नही हो रही है। यही मैक्सिमम है। इस बीच यह हुआ कि बीजेपी पूरे बंगाल के चुनाव को रद्द करने की मांग करने लगी। ऐसा क्या हुआ कि वह चुनाव रद्द करने की मांग कर करने लगी?
आइए इस आंकड़ों के आइने में समझते हैं । पहले त्रिपुरा समझ लें फिर पश्चिम बंगाल समझते हैं।
त्रिपुरा में 2018 में बीजेपी ने क्लीन स्वीप किया कैसे। उसे इस तरह जानिए। 2013 में cpm को 49 सीट थे , 1059327 वोट के साथ जो 48.11% होता है । बीजेपी को 1.54% और कांग्रेस को 10 सीट ,36.53% और 804457वोट। जब 2018 का चुनाव हुआ तो बीजेपी को 43.59%,1025673 वोट हो गए और कांग्रेस का 1.79 । मतलब यह हुआ कि कांग्रेस ने अपना नाम बदलकर बीजेपी रख लिया। इस तरह बीजेपी क्लीन स्वीप कर गई। मतलब आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि बीजेपी 1.59 से एकाएक 43.59% कैसे हो गई। यह तो पहले से वहां विपक्ष में थी।बस नाम बदल कर बीजेपी हो गई। जैसे कांग्रेस के पहले 36.53+1.59(बीजेपी)= 38.12 आलरेडी थे। बीजेपी को केवल 5% अतिरिक्त मैनेज करने थे ।उन्होंने किया। धन से ,बल से , बुद्धि और कुटिलता से। चूंकि त्रिपुरा एक बहुत छोटा राज्य है इसलिए वहां यह संभव हो गया। इसमें सीपीएम को कोई खास नुकसान नहीं पहुंचा समर्थन के मामले में। उनके करीब 4% वोट छिटक गए। या छिटका लिए गए। 1059000मै से 65 हज़ार वोट घट गए। वे वापिस भी आ सकते हैं। उससे ज्यादा भी।अगर लोकसभा का रिजल्ट वहां चौंका दे तो आश्चर्य मत कीजियेगा। त्रिपुरा वेस्ट और ईस्ट दोनों cpm के खाते में आ गए तो आंख मत फड़िएगा । यह स्वाभाविक राजनीतिक बदलाव होगा। काठ की हांडी एक बार ही चढ़ती है।
सवाल यह है कि क्या त्रिपुरा की तरह बंगाल भी बीजेपी क्लीन स्वीप कर पाएगी ?
जवाब है नहीं। क्योंकि यहां परिस्थिति त्रिपुरा के बिल्कुल विपरीत है। यहां त्रिकोणीय संघर्ष है और बीजेपी को यहां रूट जमाने से पहले सीपीएम को रिप्लेस करना होगा । चूंकि बीजेपी बंगाल में यूपी वालो और बिहारियों की कंधे पर चढ कर गई है इसलिए बंगाल में उसकी कोई विश्वसनीयता नहीं है। इसका दर्द पीएम मोदी के बयान में झलक गया ।अपने अंतिम भाषण में उन्होंने कहा कि बहन जी, ममता दीदी यूपी, बिहारी, पूर्वांचली को बाहरी कह रही है, उन्हें खदेड़ रही है और आप ममता से सवाल पूछने के बजाय मुझे गाली दे रही है। अर्थ हुआ मोदी को पूरे बंगाल से वोट नहीं चाहिए था। उन्हें तो केवल वहां यूपी, बिहार और पूर्वांचली लोगो का वोट चाहिए था। मतलब वे खुद अपनी हार मान चुके थे। अब भागते भूत की लंगोटी पकड़ना चाहते थे। दूसरा कारण है कि बीजेपी के पास बंगाल में अपना कोई चेहरा नहीं है। बाबुल सुप्रियो और रूपा गांगुली जैसे सिनेमाई लोगो से वे कैसे बंगाल में डेंट कर पाएंगे। हां, यह बात है कि बंगाल के बड़ा लोक यानी भद्रलोक में यानी कुलीन ब्राह्मण, वैद्य और कायस्थ के निम्न वर्ग और निम्न मध्यम वर्ग में बीजेपी का क्रेज बढ़ा है। इनका हिंदुत्व उनके ऐतिहासिक संस्कार को तुष्ट करता है और अवचेतन की अतृप्त इच्छा है ।इसलिए बहुत तेजी से यह वर्ग बीजेपी की तरफ झुका है। लेकिन वह वोट में बदल पाएगा कहना मुश्किल है।
फिर पश्चिम बंगाल में क्या होगा?
तीन परिस्थितियां हैं –
1) बीजेपी अपना पिछले वोट में बढ़ोतरी करेगी। मतलब 2014 के 17% या 2016 के 10.5% में कांग्रेस से 12.5 छीनने की कोशिश करेगी। अगर ऐसा होता है तो उसका वोट प्रतिशत बढ़ जाएगा ।वह 21–25% तक हो सकती है ।इस परिस्थिति में उसे 5- 7 सीट मिलेंगे।
2) यह होगा कि टीएमसी के भद्रलोक वोट भी बीजेपी के तरफ सिफ्ट होने की कोशिश करेगा । इस परिस्थिति में cpm जिसके पास करीब 30% वोट है बाउंस बैंक करेगा और cpm और तृणमूल आधे – आधे सीट जीत सकते हैं। बीजेपी को शून्य मिलेगा।
3) रा परिस्थिति यह है कि बीजेपी ने जिस तरह से बंगाल में उत्पात मचाया है और बंगाली अस्मिता को ठेस पहुंचाई है। उसकी प्रतिक्रिया भी हो सकती है और तृणमूल जबरदस्त परफॉर्म करे। मतलब 42 में 40 सीट न जीत जाए ।इस परस्थित में भी बीजेपी शून्य होगी।
अन्तिम दो परिस्थितियां बीजेपी के प्रतिकूल है। इसलिए बीजेपी पूरे बंगाल में पुनर्मतदान की मांग कर रही है।
दूसरी बात अगर सुजा कहता है कि बंगाल में तृणमूल 40 सीट जीत रही है तो आप उसके राजनीतिक समझ को कम मत आंकिए।
टीवी वाले एग्जिट पोल की ऐसी की तैसी।
(पोल ऑफ पोल्स by मनीष चांद 22/05/2019- क्रमश:)
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मनीष कुमार चांद स्वतंत्र सामाजिक राजनीतिक चिंतक हैं. आरा (बिहार) में रहते हैं.
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