
धर्मेश आंबेडकर (Dharmesh Ambedkar)
जयभीम साथियों !
सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट(CAA) और नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटिज़न्स (NRC) का नाम तो आपने ज़रूर सुना होगा। मीडिया लगातार बता रही है कि ये मुसलमान विरोधी है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी तो खुद यह कह चुके हैं कि इसके विरोधियों को उनके कपड़े के आधार पर पहचान की जा सकती है। यदि आप भी ऐसा ही समझते हैं, तो थोड़ा सा समय निकाल कर इस पर्चे को ज़रूर पढ़ें।
इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के अनुसार अब असम में NRC लिस्ट से बाहर हुए 19 लाख से ज्यादा लोगों के पास अब वोट देने का अधिकार नहीं होगा। असम NRC लिस्ट से बाहर हुए 19 लाख लोगों में से 14 लाख लोग हिंदू बताए जा रहे हैं, जिसका सरकार ने अभी जाति आधारित डाटा सार्वजानिक नहीं किया है। जाति आधारित डाटा सार्वजानिक न करना, यह साफ करता है कि इन 14 लाख में से अधिकांश झारखण्ड से चाय बागान में काम के लिये आये आदिवासी, बिहार के दुसाध, चमार और मेहतर तथा असम के ही दलित और ओबीसी जातियों के ही लोग हैं। जाहिर हैं कि अब ये दलित, आदिवासी और ओबीसी अपने वोट के अधिकार से हमेशा के लिये वंचित हो गये, जो इन्हें डॉ.बाबासाहेब आम्बेडकर ने अपने अथक संघर्ष से दिलाया था। इतना ही नहीं इन वंचित दलित, आदिवासी और ओबीसी अब डिटेंशन केम्प यानी जेल खाने में कैद कर दिया गया है।
आप में से कुछ प्रबुद्ध लोग यह पहले से ही जानते हैं कि आरएसएस अपने पुराने एजेंडे के तहत दलित, बौद्ध, आदिवासी और शूद्र यानी ओबीसी को वोट के अधिकार से वंचित रखने की साज़िश कर रहा था। आप में से कुछ को याद भी होगा कि जब अटल बिहारी बाजपेयी देश के प्रधान मंत्री बने थे, तो उन्होंने संविधान की समीक्षा के लिये एक आयोग भी बना दिया था,किंतु उस वक्त वे संख्या बल में कम थे इसलिये वे अपनी इस मंशा में सफल नहीं हो पाये।
अब जब भारतीय जनता पार्टी (BJP) लोकसभा में पूण बहुमत में हैं,वह बड़े शातिराना तरीके से सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट, 2019 (CAA) लागू कर चुकी है। अगर आप यह समझ रहे हैं कि यह महज पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के हिन्दुओं को भारत में शरण देने के लिये लाया गया कानून है तो यह सिर्फ आधा सच है।
यदि आप ध्यान दें, तो भारत के गृहमंत्री अमित शाह ने सदन में साफ कह दिया है कि सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट(CAA) के साथ ही वह असम की तर्ज़ पर पूरे भारत में नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटिज़न्स (NRC) लागू करवाना चाहते है. जाहिर है कि जब यह नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटिज़न्स (NRC) पूरे देश में लागू होगा तो तमाम दलित, आदिवासी, मज़दूर और ओबीसी जिनके पास 1971 या उससे पहले का ज़मीन का रिकॉर्ड, पासपोर्ट, तब की LIC पॉलिसी, विवाहित महिलाओं के लिए सर्किल ऑफिसर या ग्राम पंचायत सचिव का सर्टिफिकेट, उस वक़्त का स्कूल सर्टिफिकेट आदि नहीं होगा, तो वे सब एक झटके में अपनी नागरिकता खो देंगे। अब प्रश्न उठता है कि कितने दलितों और गरीबों के पास 1971 या उससे पहले की ज़मीन के रिकॉर्ड हैं।
यानी यदि आज का दलित यदि किसी सरकारी नौकरी, प्राइवेट संस्था आदि में नौकरी, बिज़नेस, मज़दूरी या किसी भी काम-धंधे में लगा हैं तो उसे तत्काल वहाँ से निकाल कर डिटेंशन केम्प यानी जेल खाने में कैद कर दिया जायेगा साथ ही उनकी ज़मीन-जायदाद और बैंक बेलेंस को सरकार कुर्क कर दी जायेगी यानी तब वापस पेशवाई युग आ जायेगा और आप दलित, आदिवासी, और ओबीसी को गले में मटका और कमर पे झाड़ू बांधकर अपना शेष जीवन गुजारना होगा।
कुछ दलितों को लग रहा होगा कि मोहन भागवत ने बोल दिया है तो बीजेपी आरक्षण ख़त्म नहीं करेगी और आप खुश हो गये। लेकिन जब सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट (CAA) और नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटिज़न्स (NRC) देश भर में लागू हो जायेगा और आपको दस्तावेजों के अभाव में डिटेंशन केम्प यानी जेल खाने में ठूस दिया जायेगा, तब भला कागज़ी आरक्षण किस काम आयेगा! यानी जब संविधान ही नहीं बचेगा तो आरक्षण कहाँ बचेगा?
भारत के गृहमंत्री अमित शाह कह चुके हैं कि वो पूरे देश में NRC लागू करेंगे , और इसका CAA से कोई संबंध नहीं है। लेकिन यह सरासर झूठ है। वे CAA और NRC को डबल फ़िल्टर के रूप में इस्तेमाल करेंगे और खुद का वोट बैंक सुनिश्चित करेंगे। जो लोग NRC से बाहर रहेंगे उन लोगों को डिटेंशन कैंप यानी कि, नज़रबंदी केंद्र यानी एक तरह से जेल में रखा जायेगा। ऐसा ही एक पहला नज़रबंदी गृह असम में बन चुका है। और महाराष्ट्र में भी ऐसे नज़रबंदी गृह बनाने के लिए ज़मीन देखी जा चुकी है। पूरे देश में डिटेंशन कैंप बनाये जाएंगे और उनमें दलित, पिछड़े, आदिवासी, बौद्ध, इसाई, मुस्लिम ही रहेंगे।
साथियों, भारतीय जनता पार्टी बड़े शातिराना तरीके से बाबासाहेब के बनाये संविधान को नष्ट कर मनु स्मृति को लागू कराने में जुटी हुई है। अपनी पिछ्ली चूक से सबक लेते हुए इस बार आर.एस.एस ने बड़ी चालाकी से एक शूद्र-तेली को प्रधान्मंत्री का मुखौटा बना कर और एक दलित तो राष्ट्रपति की मुहर बनाकर बाबासाहेब के संविधान को बर्बाद करने में काफी हद तक सफलता हासिल कर ली है, जो CAA और NRC के एक ही वार में पूरी भी हो जायेगी।
इसलिए यदि आप अपने संविधान को और अपने आपको और अपनी आने वाली पीढ़ी को गुलामी और ज़िल्लत से बचाना चाहते हैं तो बड़ी सावधानी से इस कानून के खिलाफ उठ खड़े होइये और इस जानकारी को तमाम दलित संगठनों और व्यक्तियों तक पहुचाने की कोशिश करें। हमें बेहद शांत लेकिन निरन्तर कोशिश करते हुए आर.एस.एस के इस एजेंडे को किसी भी कीमत पर रोकना है वर्ना हमारी आने वाली पीढ़ी गुलाम ही पैदा होगी और गुलाम ही मरेगी।
जय भीम! जय भारत !!
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[1]https://indianexpress.com/article/explained/explained-assam-nrc-final-list-published-19-lakh-excluded-5953556/accessed on 20/12/2019
[1]https://www.telegraphindia.com/india/assam-final-nrc-boomerangs/cid/1720790 accessed on 20/12/2019
[1]https://economictimes.indiatimes.com/news/politics-and-nation/nrc-law-applicable-to-entire-india-amit-shah-in-rajya-sabha/videoshow/72140627.cms accessed on 20/12/2019
[1]https://www.ndtv.com/india-news/assam-detention-centre-inside-indias-1st-detention-centre-for-illegal-immigrants-after-nrc-school-ho-2099626accessed on 20/12/2019
[1]https://frontline.thehindu.com/cover-story/article29499066.ece accessed on 20/12/2019
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धर्मेश आंबेडकर एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं.