Dhamma
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धम्म दर्शन निगम (Dhamma Darshan Nigam)

Dhammaकिसी भी राजनैतिक पार्टी को मालूम होता है कि उसे किस क्षेत्र से किस जाति-धर्म-समुदाय के लोगों का वोट मिल रहा है। अपने-अपने वोट बैंक को स्थिर रखने या और बढ़ाने के लिए तो राजनैतिक पार्टियां काम करती ही हैं, लेकिन विपक्षी पार्टियों के वोट बैंक को कमज़ोर करने या ख़तम करने का काम भी अब काफी व्यवस्थित तरीके से किया जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) द्वारा लाया गया नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 (सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट (CAA)) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटिज़न्स (NRC)) को देश भर में लागू करने की घोषणा को इसी दिशा में देखा जा सकता है। CAA और NRC के लागू होने पर जो कोई भी ज़रूरी कागज़ात नहीं दिखा पायेगा वो उसकी नागरिकता खो देगा। इसका मतलब होगा कि वो इंसान अब वोट नहीं दे पायेगा। और अगर हम में से कोई भी यह सोचता है कि BJP अपने संभावित वोट बैंक की नागरिकता CAA और NRC के जरिये खोने देगी तो यह हमारी कोरी राजनैतिक मूर्खता होगी। CAA और NRC के जरिये वोट का अधिकार दलितों, आदिवासियों, मुसलमानों, और पिछड़ी जातियां से ही छीना जायेगा। ऐसा करके BJP: 1) दलित, आदिवासियों, पिछड़ों, और मुसलमानों को राजनैतिक रूप से कमज़ोर करना चाहती है, 2) आगामी चुनावों में ख़ुद की जीत सुनिश्चित करना चाहती है, और 3) आदिवासियों से उनकी नागरिकता छीन, उनका वोट का अधिकार छीन, उन्हें डिटेंशन कैंप में डाल उनकी ज़मीन, उनके पहाड़ छीनना चाहती है। दलितों से उनका वोट का अधिकार और आदिवासियों से उनकी ज़मीन छीनने का CAA और NRC सबसे आसान तरीका है। 

CAA कहता है कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान, और बांग्लादेश से 31 दिसम्बर 2014 तक भारत में आये हिंदू, सिख, बुद्धिस्ट, जैन, पारसी या ईसाई को भारतीय नागरिकता दी जाएगी। इसके विपरीत भारतीय संविधान का आर्टिकल 14 कहता है कि “राज्य, भारत के राज्यक्षेत्र में किसी भी व्यक्ति को विधि के समक्ष समता से या विधियों के समान संरक्षण से वंचित नहीं करेगा” (The state shall not deny to any person equality before the law or the equal protection of the laws within the territory of India). लेकिन, CAA में पाकिस्तान, अफगानिस्तान, और बांग्लादेश के मुसलमान शरणार्थियों का नाम ना लेकर उनके धर्म के आधार पर उन्हें भारतीय नागरिकता ना देने से एकदम मना कर दिया है। जो सीधे तौर पर आर्टिकल 14 और संविधान की मूल प्रस्तावना में लिखे शब्द धर्मनिरपेक्ष (secular) का खुलेआम उल्लंघन है।

NRC कानूनी रूप से भारतीय नागरिकों का सरकारी रिकॉर्ड होता है। यह उन लोगों की सूची है जो भारतीय नागरिकता के लिए सिटीजनशिप एक्ट, 1955 (CA) के अनुसार योग्य पाए गए थे। यह रजिस्टर पहली बार 1951 की जनगणना के बाद बना था, जिसे अभी तक अपडेट नहीं किया गया है। लेकिन असम में 2015 में वहां की वोटर लिस्ट से गैरकानूनी शरणार्थियों का नाम हटाने के लिए दोबारा NRC तैयार हुआ। 31 अगस्त 2019 को NRC के नतीजे आने पर पता चलता है कि 19 लाख़ से ज्यादा लोगों का नाम इस लिस्ट में नहीं आया1, जिसमें से 14 लाख़ वहां के हिंदू हैं।2 और शायद इन्हीं 14 लाख़ हिंदुओं को दोबारा NRC में जोड़ने के लिए ही भारत के गृहमंत्री अमित शाह बोलते हैं कि “NRC की प्रक्रिया देश भर में होगी, उस वक़्त असम के अंदर भी यह NRC की प्रक्रिया स्वाभाविक रूप से फिर से की जाएगी”3। 

NPR यानी कि नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर) भारत में रहने वाले उन सभी लोगों का लेखा जोखा है जो पिछले 6 महीनें से भारत में रह रहे हैं, और अगले 6 महीनें और भारत में रहना चाहते हैं4। जिसके बारे में अमित शाह बोल रहे हैं कि इसका NRC से कोई देना देना नहीं है5। लेकिन, गृह मंत्रालय की ही 2018-2019 वार्षिक रिपोर्ट के चैप्टर 15 में ही 2 बार लिखा हुआ है कि “The National Population Register (NPR) is the first step towards the creation of the National Register if Indian Citizens (NRIC)”. मतलब NRC बनाने के लिए NPR पहला कदम है। नागरिकता अधिनियम, 1955 के 2003 के नियमों के अनुसार भी रजिस्ट्रार जनरल के लिए NRC बनाना अनिवार्य है। इतना ही नहीं, इन्हीं नियमों के सेक्शन 16.(5) में जनसंख्या रजिस्टर (मतलब NPR) और भारतीय नागरिकों का रजिस्टर (मतलब NRC) को “or” (मतलब “या”) के रूप में लिखा गया है। मतलब, NPR और NRC नागरिकों का लेखा जोखा रखने वाले रजिस्टरों के ही नाम हैं। हम लोगों का जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र भी एक स्तर पर NRC में ही जाकर जुड़ता है। इस सूरत में हमें सरकार और उसके मंत्रियों से यह ज़रूर पूछना चाहिये कि वो खुद के ही नागरिकों से NPR और NRC पर झूट क्यों बोल रहे हैं। 

कुछ राज्यों के मुख्यमंत्री बोल रहे हैं कि वे उनके राज्य में CAA लागू नहीं करेंगे6, लेकिन नागरिकता पर निर्णय लेने का हक़ केंद्र का होता है न कि राज्यों का7। अमित शाह सदन से साफ़-साफ़ बोल भी चुके हैं कि “NRC की प्रक्रिया देश भर में होगी”8। NRC और CAA को हिंदू-मुस्लिम के रूप में पेश करने के पीछे भी BJP का मकसद दलित और पिछड़ों का ध्रुवीकरण करना है, कि उनमें मुस्लिम विरोधी भावना को पैदा या और मजबूत किया जाए। इस स्थिति में हमें अलग-अलग राजनैतिक पार्टियों की राजनीति में ना फस कर, BJP की संविधान को ख़तम करने की सोची-समझी साजिश का पर्दाफाश करने की जरुरत है।  

तीस्ता सीतलवाड़ जिन्होंने सन 2002 के गुजरात में मुसलमानों के नरसंहार पर मुसलमानों के पक्ष में कानूनी लड़ाई लड़ी, कहती हैं कि, “एक बहुत ऐतिहासिक बात समझना ज़रूरी है कि मुसलमान सिर्फ़ एक बहाना है, असली निशाना संघ का बाबा साहेब अंबेडकर का दिया हुआ संविधान है”9। तीस्ता “ऐतिहासिक” शब्द का इस्तेमाल इसीलिए करती हैं कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का शुरू से एजेंडा संविधान को ख़तम करने का ही रहा है। तीस्ता यह बात एक दूसरे संदर्भ में बोलती हैं, लेकिन RSS को लेकर, किसी भी संदर्भ में, हमें यह शंका नहीं रहनी चाहिये कि RSS संविधान के साथ छेड़छाड़ नहीं करेगा। या संविधान को एकदम से नज़रअंदाज करते हुए संविधान के विपरीत अलोकतांत्रिक कानून नहीं लायेगा, या उसे एकदम से ख़तम नहीं करेगा। अतः BJP या RSS मुसलमान-मुसलमान चिल्लाते तो हैं, लेकिन मुसलमानों की आड़ में वे संविधान को धीरे-धीरे ख़तम कर मनुस्मृति को लागू करना चाहते हैं। इसका मतलब सिर्फ और सिर्फ BJP की रणनीति समझने से है, ना कि BJP के मुस्लिम विरोधी रवैये को नज़रअंदाज करने से। अगर हम BJP को सिर्फ मुस्लिम विरोधी पार्टी या CAA और NRC को मुस्लिम विरोधी क़ानून के रूप में देखेंगे तो हम BJP की रणनीति को समझने में गलती करेंगे। 

अगर BJP धीरे-धीरे संविधान ख़तम कर ही रही है, और देश को हिंदुराष्ट्र बना ही रही है, तो इसका क्या मतलब होगा? हिंदुराष्ट्र का मतलब इस देश में सिर्फ हिंदू रहने से नहीं है। कि, मुसलमानों को पाकिस्तान, अफगानिस्तान या बांग्लादेश भेज दिया जायेगा। जो कि BJP सरकार वैसे भी नहीं कर सकती और ना ही पाकिस्तान, अफगानिस्तान या बांग्लादेश की सरकारें इस देश की 14% मुस्लिम आबादी को अपने देश में बसाने के लिए तैयार होंगी। और ना ही भारत सरकार के पास ऐसी कोई पॉलिसी है जिसके तहत गैरकानूनी रूप से भारत में घुसे शरणार्थियों को वापस उनके देश भेजा जा सके। हिंदुराष्ट्र का मतलब होगा, चीन के शिंजियांग शहर में तोड़ी गई मस्जिदों10 की तरह यहां भी मस्जिदों का तोड़ा जाना, जिसकी मिसाल बाबरी मस्जिद तोड़ कर काफी पहले दे दी गई है। मुस्लिम महिलाओं के बुर्का या हिजाब और मुस्लिम पुरुषों के दाड़ी रखने पर पाबंदी होना। खुले में नमाज़ पढ़ने पर पाबंदी होना। हिंदुराष्ट्र का मतलब मुसलमानों से उनकी धार्मिक आज़ादी और राजनैतिक अधिकार छीनना होगा। और अगर माना जाए हिंदुराष्ट्र में कोई मुसलमान नहीं होगा, सिर्फ हिंदू होंगे, तो इस हिंदुराष्ट्र में दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों की क्या स्थिति होगी ये भी इन वंचितों के लिए काफी सोचनीय है। राजनैतिक अधिकार दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों के भी छीने जायेंगे। इन सबका वोट का अधिकार छीनने के साथ-साथ, इनके लिए शिक्षा और नौकरी के भी सभी रास्ते लगभग बंद कर दिए जायेंगे। इन सबका राजनीति, शिक्षा, रोजगार में प्रतिनिधित्व जो पहले से कम है, नागरिकता खोने के बाद और भी पिछड़ जायेगा। इन्हें असंगठित क्षेत्रों में ठेके पर सस्ते मज़दूर की तरह इस्तेमाल किया जायेगा। इनके कला और कौशल की ना ही आर्थिक कीमत होगी और ना ही उस कला को कोई इज्जत बख्शी जायेगी। इस तरह दलितों और आदिवासियों के संविधान में सुरक्षित मौलिक अधिकार बिना छेड़े ही ख़तम कर दिए जायेंगे। यह लगभग पक्का है कि आदिवासी NRC के ज़रिये काफ़ी बड़ी संख्या में उनकी नागरिकता खोयेंगे। इसके साथ वो उनकी ज़मीन, जंगल, पहाड़ों पर मालिकाना हक़ भी खो देंगे, जो आदिवासियों का सबसे बड़ा नुकसान होगा। (सरकार फिर ये जंगल और पहाड़ किन व्यापारिक घरानों को देगी यह हम सब जानते हैं)। हो सकता है NRC में छूटे हुए लोगों को रजिस्ट्रार ऑफिस में अपील करने पर नागरिकता मिल जाये, लेकिन उन्हें खुद को हिंदू, बुद्धिस्ट, जैन, सिख, पारसी या क्रिस्चियन बताना होगा। इसका मतलब उन्हें उनकी विशेष पहचान के साथ-साथ उनकी संस्कृति, प्रथायें, रीति-रिवाज़ छोड़, (काल्पनिक) “राष्ट्रीय पहचान”, “राष्ट्रीय संस्कृति” और “राष्ट्रीय धर्म” को अपनाना होगा। हिंदुराष्ट्र का मतलब वर्ण व्यवस्था लागू होना होगा, जिसमे ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य का राज और व्यापार चलेगा, और दलित, आदिवासियों और पिछड़ों से सस्ती मज़दूरी करवाई जायेगी। जिस किसी को थोड़ा सा भी शक़ हो कि BJP संविधान नहीं बदलेगी, वो BJP के मंत्री अनंत कुमार हेगड़े की संविधान पर कही बात याद करें। उन्होंने कहा था कि, “it will be changed in the days to come”. “We are here for that and that is why we have come,”  (आने वाले दिनों में यह (संविधान) बदला जायेगा। हम उसी के लिए यहां हैं और उसी के लिए हम आये हैं)। और वे भी RSS की विचारधारा के ही लोग होते हैं जो दिल्ली में संविधान की प्रतियां जलाते हैं12, और ये नारे लगाते हैं13: संविधान मुर्दाबाद, संविधान जलाओ – देश बचाओ, अंबेडकर जलाओ – देश बचाओ, आरक्षण मुर्दाबाद, आरक्षण ने क्या किया – देश को बर्बाद किया, SC/ST Act मुर्दाबाद, जिसने SC/ST Act पास किया – मुर्दाबाद, आरक्षण के दलालों को – जूते मारो सालों को, अंबेडकर मुर्दाबाद, जिसने अधिकार छीना है – वो मुर्दाबाद, मनुवाद जिंदाबाद, मनुस्मृति जिंदाबाद, भारत माता की जय। जिस तरह से CAA और NRC के विरोध पर ही मुसलमानों को उनके घर में घुस कर मारा जा रहा है14, उस तरह दलितों और आदिवासियों का भी नंबर आयेगा। और हिंदुराष्ट्र में इन सब के बाद अगला नंबर आएगा ब्राह्मण, क्षत्रिय, और वैश्य महिलाओं का। तब उन्हें घर तक सीमित कर दिया जायेगा। उनके पढ़ने, नौकरी करने, सोचने पर रोक लगा दी जाएगी। विधवा महिलायें की फिर से शादी पर रोक लगा दी जायेगा। उन्हें सती किया जायेगा। अगर वो खुद से सती नहीं हुईं तो उन्हें वही भीड़ मारेगी जो अभी मुसलमानों, दलितों और आदिवासियों को खुलेआम मार रही है। तथाकथित उंची जाति की महिलाओं को यह याद रखने की ज़रूरत है कि उन्हें सम्मान और अधिकार भी बाबासाहेब के संविधान की वजह से ही मिले हैं। बाबासाहेब का यह कथन यहां ज़रूर याद किया जाना चाहिये, कि 

If Hindu Raj does become a fact, it will no doubt be the greatest calamity for this country. No matter what the Hindus say, Hinduism is a menace to liberty, equality and fraternity. On that account it is incompatible with democracy, Hindu Raj must be prevented at any cost” (Ambedkar 2014: 358).

(अगर हिंदू राज सत्य बन जाता है, तो बेशक यह इस देश के लिये सबसे बड़ी आपदा होगी। हिंदू बेशक कुछ भी कहें, लेकिन हिंदू धर्म स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व के लिये खतरा है। इस तरह यह लोकतंत्र के लिये अनुचित है, हिंदू राज किसी भी कीमत पर रोका जाना चाहिये।)

ambedkar and child edited  

वो तमाम दलित, आदिवासी, पिछड़े, मुसलमान जो कभी स्कूल नहीं जाते, ज़िंदगी भर मज़दूरी में कर्ज तले जीते हैं और कर्ज तले मर जाते हैं, जिनका कच्चा घर और उस पर भूस का छप्पर जो हर साल बारिश में बह जाता है, उन लोगों के लिए गृहमंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लगता है कि वे ज़रूरी कागजात दिखा पायेंगे और NRC की प्रक्रिया पूरी कर पायेंगे। इस से ज़्यादा शर्मनाक और क्या ही होगा! मैं, मेरे सफाई कर्मचारी आंदोलन के साथ पिछले 6 साल के अनुभव के आधार पर कह सकता हूं कि देश भर में अधिकतर सफाई कर्मचारियों के पास कोई प्रमाणपत्र नहीं होता। ना ही उनका जन्म प्रमाणपत्र और ना ही अगर उनके पास कोई छोटा ज़मीन का टुकड़ा है तो उसका भी कोई कागज़ात उनके पास नहीं होता। वे स्कूल नहीं गए होते तो कोई स्कूल संबंधी कागज़ात भी उनके पास नहीं होता। ना ही गरीबी रेखा के नीचे (बीपीएल) का कार्ड और ना ही जाति प्रमाणपत्र। अगर हम दिल्ली में भी सर्वे करने निकलें तो यहां भी बहुत से सफाई कर्मचारियों के पास जाति प्रमाणपत्र नहीं मिलेगा। इन गरीबों-वंचितों के पास मुश्किल से वोटर कार्ड होता है और अब आधार आ गया था, लेकिन अब यह भी नागरिकता साबित करने के लिये काफी नहीं है16। अतः कहा जा सकता है कि CAA और NRC के जरिये इन पहले से वंचित लोगों से उनकी नागरिकता और उसके साथ उनके वोट का अधिकार भी एक झटके में छीन लिया जायेगा। वंचितों के वोट का अधिकार छीन BJP इन वंचितों की राजनैतिक पार्टियों को कमज़ोर करना चाहती है, जिससे कि वह 2024 के लोकसभा चुनाव और उस से पहले के विधानसभा चुनावों को आसानी से जीत सके। अतः CAA और NRC का विरोध दलित, आदिवासी, पिछड़े, और मुसलमानों के लिए संविधान बचाने की साझी लड़ाई लड़ाई होनी चाहिए, तब ही उनकी नागरिकता, उनके अधिकार बच पायेंगे।    

केंद्र सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कम से कम एक-एक डिटेंशन कैंप बनाने के लिए पहले ही बोल चुकी है । असम में 3000 गैरकानूनी प्रवासियों के लिए डिटेंशन कैंप बन रहा है17। महाराष्ट्र में भी ऐसे नज़रबंदी गृह बनाने के लिए ज़मीन देखी जा चुकी है18। कर्नाटक में डिटेंशन कैंप बन कर तैयार है19। साथ ही साथ डिटेंशन कैंप में मर रहे लोगों की ख़बरों को भी नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता20। भारत के गृहमंत्री अमित शाह कह चुके हैं कि वो पूरे देश में NRC लागू करेंगे21, और इसका CAA से कोई संबंध नहीं है। जो सरासर झूठ है। वे CAA और NRC को डबल फ़िल्टर के रूप में इस्तेमाल करेंगे और खुद का वोट बैंक सुनिश्चित करेंगे। और दलित, आदिवासी, पिछड़े, मुस्लिम जो NRC से बाहर रहेंगे उन लोगों को डिटेंशन कैंप यानी कि, एक तरह से जेल में रखा जायेगा। 

अगर कुछ दलित जातियां यह सोच रही हैं कि BJP के नेताओं के कहे अनुसार CAA और NRC सिर्फ पाकिस्तान, बांग्लादेश, और अफगानिस्तान के मुसलमानों के लिए है। या मोहन भागवत ने बोल दिया है तो बीजेपी आरक्षण ख़तम नहीं करेगी। या उन्हें उनके पास नौकरी, पैसा, काम-धंधा आ जाने से लगता है कि उनका भविष्य सुरक्षित है और उन्हें BJP की नीतियों से कोई नुकसान नहीं है, तो वे BJP के हिंदू एजेंडे को ही मजबूत कर रही हैं। BJP बेशक़ आरक्षण ख़तम ना करे, लेकिन वो इसे किसी इस्तेमाल का भी नहीं छोड़ेगी। उदाहरण के तौर पर 13 पॉइंट रोस्टर हमें कभी नहीं भूलना चाहिये। सोचिये ज़रा आरक्षण किस काम आयेगा जब सरकारी नौकरी, सरकारी स्कूल, सरकारी विश्वविद्यालय ही ख़तम हो जायेंगे। CAA और NRC सीधा-सीधा बाबासाहेब के संविधान पर हमला है। यह संविधान नहीं रहेगा तो आपके बोलने, लिखने, पढ़ने, काम करने, और किसी विशेष जगह पर रहने के अधिकार भी नहीं रहेंगे। आप सिर्फ और सिर्फ एक अछूत या ज्यादा से ज्यादा एक ‘चमचे’ का ही किरदार निभायेंगे। आप कभी स्वावलंबी नहीं बन पायेंगे। कभी अपने आप में आत्मसम्मान पैदा नहीं कर पायेंगे। हमेशा दबंग जातियों की दया पर जीते रहेंगे। आप जैसे ही दलितों के लिए बाबासाहेब ने कहा था कि “मुझे मेरे पढ़े-लिखे लोगों ने धोखा दिया है”।

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धम्म दर्शन निगम ‘सफाई कर्मचारी आन्दोलन’ के नेशनल कोऑर्डिनेटर हैं, लेखक हैं व् The Ambedkar Library के फाउंडर हैं. उनसे ddnigam@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है.

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