कहानी एक मुसल्ली की: अगरा सहुतरा

Faiyaz Ahmad Fyzie

  फ़ैयाज़ अहमद फैज़ी (Faiyaz Ahmad Fyzie)  पंजाब के इलाके में बसने वाले पसमांदा स्वच्छकार, जो पंजाबी समाज में सबसे निचले स्तर के माने जाते हैं मुसल्ली कहलाते हैं. मुसल्ली अरबी भाषा का शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ सला (ईश्वर की उपासना का एक विशेष इस्लामी विधि जिसे नमाज़ भी कहतें है) स्थापित करने वाला होता है. चूहड़, चूड़ा, चन्गड़, […]

हाशिए के समाज और पहचान का संकट

faqir

जय प्रकाश फ़ाकिर (Jay Prakash Faqir) [प्रस्तुत आलेख जय प्रकाश फ़ाकिर द्वारा उपरोक्त विषय पर दिए गए व्याख्यान का हिस्सा है, जो उन्होंने DEMOcracy द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में दिया था. इस व्याख्यान का विडियो लिंक आखिर में दिया गया है] मैं #DEMOcracy का शुक्रगुज़ार हूँ जिसने मुझे इस विषय पर बोलने का मौक़ा दिया. किसी भी बात को रखने के दो […]

रद्द-ए-सर सैयद – सर सैयद का निरस्तीकरण

Faiyaz Ahmad Fyzie

  फ़ैयाज़ अहमद फैज़ी (Faiyaz Ahmad Fyzie)  जब पसमांदा आंदोलन ने सर सैयद अहमद खाँ के राष्ट्रविरोधी, इस्लाम-विरोधी, महिला शिक्षा विरोधी, पसमांदा विरोधी और जातिवादी विचारों (राउंड टेबल इंडिया, और ‘पसमांदा पहल’ पत्रिका में छपे मसूद आलम फलाही, नुरुल ऐन ज़िया मोमिन का लेख और मेरे फेस बुक के 17 से 24 अक्तूबर के पोस्ट पढ़ें) को उजागर कर उसका […]

सैयदवाद ही इबलीसवाद है?

Nurun N Zia Momin

  एड0 नुरुलऐन ज़िया मोमिन (Adv. Nurulain Zia Momin) इस लेख को लिखने की आवश्यकता इसलिए महसूस हुई क्योंकि पसमांदा आन्दोलन से सम्बन्धित व्यक्तियों, पसमांदा संगठनो के पदाधिकारियों तथा समर्थकों द्वारा इबलीसवाद, इबलीसवादी तथा इबलीसी जैसे शब्दों का प्रयोग अक्सर अपने लेखों, भाषणों, फेसबुक, व्हाट्सअप जैसी सोशल साइटों पर अपनी पोस्टों तथा बहस के दौरान अपनी टिप्पणियों में किया जाता है […]

शोषक और शोषित में एकता… क्या संभव है?

shafi

शफ़ीउल्लाह अनीस (Shafiullah Anis) आम बातचीत में अगर आप किसी को बताएं कि आप जुलाहा या रंगरेज़ हैं, या पठान या सय्यद हैं तो इस बातचीत को रोज़मर्रा की बातों में ही शुमार किया जाता है. वहीँ दूसरी तरफ जैसे ही आप खुद को पसमांदा या सामने वाले को अशराफ कह कर मुखातिब होते हैं, आप पर एक इल्ज़ाम लगा […]

भारत, हिदुस्तान और राजनीति

एड0 नुरुलऐन ज़िया मोमिन (Adv. Nurulain Zia Momin) ये सत्य है कि संघ व उससे से जुड़े संगठनो से सम्बंधित व्यक्तियों, सदस्यों व पदाधिकारियों की टिप्पणियाँ समय-समय पर मुझे बतौर मुस्लिम आहत भी करती रही है और ये सोचने पर मजबूर भी करती रही है कि क्या किसी संगठन के पदाधिकारियों से इस तरह की तर्कहीन व निराधार टिप्पणियों की आशा […]

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में जात-पात (जातिवाद) की जड़ें

मसूद आलम फलाही (Masood Alam Falahi) मोहम्मडन एंग्लो ओरिएण्टल कॉलेज (अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी) पिछड़ी बिरादरियों को शिक्षा का अधिकार दिए जाने कि बात दूर की है. धार्मिक दृष्टिकोण से सभी मुसलमानों को बराबर नहीं समझा गया. इस का एक उदाहरण मौलाना अशरफ़ अली थानवी (र०अ०) की किताब ‘अशरफ़-उल-जवाब’ में मिलता है. उस के अन्दर है कि- “एक अंग्रेज़ अलीगढ़ कॉलेज […]

कुफ़ू मान्यता और सत्यता

एड0 नुरुलऐन ज़िया मोमिन (Adv. Nurulain Zia Momin) कुफू का शाब्दिक अर्थ बराबर, मिस्ल, हमपल्ला और जोड़ होता है। इस्लामिक विद्वानों (उलेमा) द्वारा ये शब्द सामान्यतः शादी-विवाह (वर-वधू) के सम्बन्ध में प्रयोग किया जाता है, अर्थात जब ये कहा जाता है कि फला फला का कुफू है तो अर्थ ये होता है कि फला फला आपस मे बराबर है और […]

सैयद व आले रसूल शब्द – सत्यता व मिथक

एड0 नुरुल ऐन ज़िया मोमिन (Adv. Nurulain Zia Momin) सैयद व आले रसूल शब्दों का प्रयोग अजमी (ईरानी और गैर-अरबी) विशेषकर भारतीय उपमहाद्वीप के विद्वानों द्वारा जिस अर्थ में किया जाता है उसका अपने शाब्दिक अर्थ व इस्लामिक मान्यताओं से कोई सम्बन्ध नही है। अधिकांश अजमी विद्वानों द्वारा अपने लेखो,पुस्तको व भाषणों में “सैयद व आले रसूल” शब्द का प्रयोग […]

धर्म की व्याख्या का खेल

लेनिन मौदूदी (Lenin Maududi) कुछ दिनों पहले एक फ़िल्म देखी The Birth of A Nation. ये फ़िल्म नैट टर्नर नामक गुलाम पे आधारित है जिसने गुलामी के विरुद्ध 1831 में अमेरिका में विद्रोह किया था. इस फिल्म के नायक नैट टर्नर को उसके गोरे मालिक पढ़ना सिखाते हैं. पर सिर्फ वहीं तक कि वह बाइबिल पढ़ सके उससे आगे उसे पढ़ने […]