प्रवीण कुमार (Praveen Kumar) मैं अभी वर्तमान समय में विचाराधीन बंदियों के साथ उनकी सामाजिक विधि सहायता पर कार्य कर रहा हूँ. यह कार्य मैं क्रिमिनल जस्टिस फेलोशिप प्रोग्राम टाटा सामजिक विज्ञानं संस्थान के अंतर्गत कर रहा हूँ. यह फ़ेलोशिप एक प्रकार का फील्ड इंटरवेंशन हैं. इस फ़ेलोशिप की शुरुआत करने का मुख्य उद्देश्य यह है कि नए प्रोफेशनल को […]
आरक्षण, संविधान और बाबा साहेब के खिलाफ मनुवादी ज़हर
कुणाल रामटेके (Kunal Ramteke) दलितों, आदिवासियों के खिलाफ बढ़ते जुर्म, आरक्षण के खिलाफ बनती नीतियाँ और संविधान के खिलाफ ज़हर उगलने की प्रिक्रिया इस मौजूदा मनुवादी सरकार में भयानक तेज़ी लिए हुए है. हालही में यूथ इक्वलिटी फाउंडेशन और आरक्षण विरोधी पार्टी द्वारा एस.सी./एस.टी. एक्ट में एस.एस/एस.टी समुदायों के हक में संशोधन के खिलाफ और जंतर मंतर पर संविधान […]
बहुजन भारत के निर्माण का सबसे आसान और कारगर उपाय क्या है?
संजय जोठे (Sanjay Jothe) क्या आपको पशु पक्षियों या पेड़ पौधों में ऐसी प्रजातियों का पता है जो अपने ही बच्चों के लिए कब्र खोदती है? या अपने ही बच्चों का खून निकालकर अपने दुश्मनों को पिलाती है? मैंने तो आजतक ऐसा कोई जानवर या पक्षी या पेड़ नहीं देखा जो अपने बच्चों के भविष्य को बर्बाद करने की […]
बाबासाहेब डॉ आंबेडकर और आदिवासी प्रश्न
डॉ रत्नेश कातुलकर (Dr. Ratnesh Katulkar) क्या डॉ आंबेडकर आदिवासी विरोधी थे? क्या उन्होने दलित अधिकारो की कीमत पर आदिवासी अधिकारों की अवहेलना की? ये सवाल अभी हाल ही कुछ वर्षों मे कुछ लेखकों ने उठाए हैं। हालांकि बाबसाहब पर इस तरह के इल्ज़ाम कोई नए नहीं हैं। वैसे यह सच है कि बाबा साहेब डॉ आंबेडकर तो हमेशा […]
“बुद्धा इन ए ट्राफिक जाम” : सियासी परदे में किसका एजेंडा…!
देश के ‘सबसे बड़े दुश्मनों’ और ‘सबसे बड़ी समस्याओं’ से लड़ने के तरीके और उनसे पार पाने के ‘रास्ते’ अब वॉलीवुड के फिल्मकारों ने बताना शुरू कर दिया है! हालांकि सिनेमा के परदे पर ‘उपदेश’ तो पहले भी होते थे, लेकिन उन्हें ‘फिल्मी’ कह और मान कर माफ कर दिया जाता था! लेकिन अब फिल्में बाकायदा राजनीतिक एजेंडे के […]
‘मैं शब्द-दर-शब्द कविता हूँ’: गुरिंदर आज़ाद के काव्य संग्रह ‘कंडीशंस अप्लाई’ का लोकार्पण
‘कंडीशंस अप्लाई’ हिंदी काव्य संग्रह का लोकार्पण 29 सितम्बर (4:00pm – 8:00pm, Auditorium, SSS-I, JNU) को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में गुरिंदर आज़ाद कवि और दलित एक्टिविस्ट हैं। उनके लेखे डाक्यूमेंट्री फिल्म निर्माण, पत्रकारिता, सामाजिक विषय लेखन जैसे अन्य काम भी हैं। बठिंडा के एक मार्क्सवादी परिवार में जन्में। तज़ुर्बों की खाक़ छानते छानते अंबेडकरवादी हो गए। पिछले कई […]