सतविंदर मदारा (Satvendar Madara) 9 अक्टूबर 2018 को उनके 12वे परिनिर्वाण दिवस पर विशेष 9 अक्टूबर 2006 को जब साहब कांशी राम जी की मौत की दुखद खबर पुरे देश और दुनिया में उनके चाहने वालों तक पहुँची, तो सभी के दिलो-दिमाग पर कई सवाल छा गए. बाबासाहब अम्बेडकर का कारवां जो, 6 दिसंबर 1956 को, उनके परिनिर्वाण के […]
बहुजन ऑटोनोमी – एक विचार
युवा साथियों के नाम जिनसे बहुजन दृष्टिकोण पर बातचीत हुई गुरिंदर आज़ाद (Gurinder Azad) बहुजन गाड़ी पर 85% लोगों का बोझा है. बहुत जद्दोजेहद के बावजूद यह बहुत धीमे चल रही है. यह बोझा ज़िम्मेदारी में जब बदलेगा तब गाड़ी थोड़ी खुशगवार रफ़्तार पकड़ेगी. ज़िम्मेदारी का मतलब बहुजनों को ईंधन और पुर्जों में खुद को ढालना पड़ेगा. बहुजन ऑटोनोमी इसकी […]
साहब कांशी राम और ‘दलित’ शब्द का सवाल?
सतविंदर मदारा (Satvendar Madara) आज पूरे भारत और यहाँ तक कि विश्वभर में ‘दलित’ शब्द के इस्तेमाल को लेकर समाज, विशेषकर, बहुजन समाज सहमति-असहमति की दो रायों के बीच बंट गया है. जहाँ एक ओर ब्राह्मणवादी मीडिया और समाज इसे बढ़ा-चढ़ा कर इस्तेमाल कर रहा है, वहीं ST, SC, OBC की मूलनिवासी बहुजन जातियाँ भी इस विषय पर बंटी हुईं हैं। […]
…ये सबसे सुरक्षित और सबसे कारगर काम है
संजय जोठे (Sanjay Jothe) भारत के दलितों आदिवासियों, ओबीसी (शूद्रों) और मुसलमानों को मानविकी, भाषा, समाजशास्त्र, दर्शन इतिहास, कानून आदि विषयों को गहराई से पढने/पढाने की जरूरत है. कोरा विज्ञान, मेडिसिन, मेनेजमेंट और तकनीक आदि सीखकर आप सिर्फ बेहतर गुलाम या धनपशु ही बन सकते हैं, अपना मालिक और अपनी कौम के भविष्य का निर्माता बनने के लिए आपको […]