सतविंदर मदारा (Satvendar Madara) पिछली दो सदियों से भारत के कई हिस्सों में हज़ारों साल से चली आ रही ब्राह्मणवादी जाति व्यवस्था के खिलाफ जंग छिड़ी, जिसे पूर्वी भारत में हरिचंद-गुरुचंद ठाकुर, पश्चिमी भारत में फूले-शाहू-अम्बेडकर, उत्तर में बाबू मंगू राम, स्वामी अछूतानंद और दक्षिण में नारायणा गुरु और पेरियार रामास्वामी ने चलाया। अंग्रेज़ों के चले जाने के बाद सत्ता […]
‘मुल्क’ फिल्म, अशराफ/सवर्ण राजनीति और पसमांदा दृष्टिकोण
लेनिन मौदूदी (Lenin Maududi) आतंक से आतंकवाद का सफर लम्बा है. आदिकाल से मनुष्य आतंकित होता आ रहा है और आतंकित करता आ रहा है. मनुष्यों ने अपनी सत्ता को लेकर जो भी संस्था बनाई उसमे अक्सर आतंक को एक उपकरण के रूप में प्रयोग किया. धर्म में ईश्वर का आतंक, परिवार में पितृसत्ता का आतंक, राज्य में सर्वभौमिक्ता का आतंक […]
‘आनंदमठ’ उपन्यास, राजनीति और बहुजन
लेनिन मौदूदी (Lenin Maududi) “पहले लोगों ने भीख मांगना शुरू किया, इसके बाद कौन भिक्षा देता है? उपवास शुरू हो गया। फिर जनता रोगाक्रांत होने लगी। गो, बैल, हल बेचे गए, बीज के लिए संचित अन्न खा गए, घर-बार बेचा, खेती-बाड़ी बेची। इसके बाद लोगों ने लड़कियां बेचना शुरू किया, फिर लड़के बेचे जाने लगे, इसके बाद गृहलक्षि्मयों का विक्रय […]
जाति विनाश कैसे हो?
संजय जोठे जाति विनाश अगर सवर्णों से अपेक्षित है तो ये व्यर्थ का प्रोजेक्ट है. लेकिन जाति विनाश दलितों पिछड़ों से अपेक्षित है तो इस प्रोजेक्ट से बहुत उम्मीद की जा सकती है. जाति विनाश कैसे होगा इसकी विस्तार से चर्चा करने से पहले दो वक्तव्य याद रखिये. महान आयरिश लेखक, विचारक और नाटककार जार्ज बर्नार्ड शॉ से एक बार […]
राष्ट्रवाद और देशभक्ति
संजय जोठे धर्म जो काम शास्त्र लिखकर करता है वही काम राष्ट्र अब फ़िल्में और विडिओ गेम्स बनाकर बनाकर करते हैं. इसी के साथ सुविधाभोगी पीढ़ी को मौत से बचाने के लिए टेक्नालाजी पर भयानक खर्च भी करना पड़ता है ताकि दूर बैठकर ही देशों का सफाया किया जा सके, और यही असल में उस तथाकथित “स्पेस रिसर्च” और “अक्षय […]
यहां गाय और सांप मारना मना है! आदमी मारिए!
डॉ ओम सुधा पिछले दिनों हम सबने खबर सुनी कि एक दलित केवल इसलिए पीट-पीट कर मार दिया गया क्योंकि उसने अपने घर में निकले एक विषैले सांप को मार दिया था. पीटकर हत्या करने वालों का तर्क है कि सांप उनके लिए पूज्यनीय है. पिछले दिनों गाय और गोमांस के मुद्दे पर भीड़ द्वारा पीट-पीट कर हत्या कर देने […]
हम सबके लिए बाबासाहेब
Essay 2. ‘What Babasaheb Ambedkar Means to Me’ Ravindra Kumar Goliya आप सभी को बाबासाहब की १२५वीं जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं| आप सब से मैं पूछना चाहता हूँ कि हम बाबासाहब की जयंती क्यों मनाते हैं? क्या सिर्फ उन्हें याद करने के लिए? क्या सिर्फ यह याद कर लेने से काम चल जायेगा कि बाबासाहब ने हमारे लिए यह किया या […]