अरविंद शेष (Arvind Shesh) पिछले कुछ समय से लगातार यह मांग उठ रही थी कि अगर कोई सवर्ण पृष्ठभूमि का व्यक्ति जाति से अभिन्न समाज में बदलाव लाने की इच्छा रखता है तो उसे सबसे पहले ‘अपने समाज’ यानी अपने जाति-वर्ग को संबोधित करना चाहिए। इसकी वजह यह है कि जाति का समूचा ढांचा न केवल उच्च कही जाने वाली […]
आर्टिकल 15, द्विज-क्रन्तिकारी और बहुजन (फिल्म विश्लेषण)
संजय जोठे (Sanjay Jothe) आर्टिकल 15 एक अच्छी फिल्म है, सभी मित्रों को जरुर देखनी चाहिए. इसमें कई खूबियाँ और कई कमियाँ है. यहाँ जब मैं इसे अच्छी फिल्म कह रहा हूँ तो इसका यही अर्थ है कि यह बहुत सारी दिशाओं में विचार करने को विवश करती है. कोई भी फिल्म या रचना एक आयाम में ही अपने निर्णयों […]