ऐतिहासिक अंबेडकरवादी दलित-बहुजन छात्र आंदोलन की भूमिका: आलोचना एवं पर्याय

KUNAL RAMTEKE

समतामुलक समाज निर्माण के संदर्भ मे छात्र आंदोलन से एक अपील कुणाल रामटेके (Kunal Ramteke) मैं सुझाव में आपके सम्मुख इन अंतिम शब्दों को रखता हूँ- शिक्षित बनो, आन्दोलन करो और संगठित हो, स्वयं पर विश्वास रखो व् उम्मीद कभी मत छोड़ो. चूँकि न्याय हमारे पक्ष में है, तो नहीं लगता कि इस लड़ाई को हार जाने का कोई कारण […]

हमारा गंदगी से घिरा जीवन तुम्हारे चित्रों का विषय क्यों नहीं?

khakse

एक रिपोर्ट  ऋषिकेश देवेंद्र खाकसे (Hrishikesh Devendra Khakse) विख्यात कवि, चित्रकार तथा शिल्पकार डॉ. सुनील अभिमान अवचार इनके ‘आउटकास्टेड एक्सप्रेशन’ नामक चित्रप्रदर्शनी मुम्बई स्थित ‘टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान’ में सम्पन्न ‘महिलाओं के सवेतन और अवैतनिक कार्य की बदलती रूपरेखा’ इस विषयपर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के मौके पर दिनांक 12 एवं 13 जुलाई 2018 को सम्पन्न हुई.  अपनी वैचारिक आयु के शुरुवाती […]

भारतीय कैंपसों (परिसरों) में जातिवाद और जाति की कहानी – I

टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान (टीआईएसएस) मुंबई में, 22 दिसंबर 2014 को हुए अम्बेडकरवादी छात्र संघ द्वारा आयोजित वार्ता पर उनका भाषण है , इस भाषण को  वल्लिंमल करुणाकरण द्वारा लिप्यंतरित किया गया है. मेरा नाम अनूप है और मैं भारतीय कैम्पसों में दलित विद्यार्थियों के मुद्दों पर लगभग 20 सालों से काम कर रहा हूँ, पहले एक विद्यार्थी के रूप में और […]