बस, मैं ही मैं हूँ, दूसरा कोई नहीं- सवर्ण द्विज की साजिशी रट

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  संजय जोठे (Sanjay Jothe)   जापानी टेक्नोलॉजी और अर्थव्यवस्था की बात अक्सर ही की जाती है। जो सवर्ण द्विज हिन्दू जापान यूरोप अमेरिका आदि आते-जाते हैं वे बड़ी होशियारी से वहाँ के समाज और सभ्यता की विशेषताओं को छिपाते हुए वहाँ की तकनीक, विज्ञान, मौसम, भोजन आदि की बातें करते पाए जाते हैं. बहुत हुआ तो वे वहाँ के […]

सर सय्यद अहमद खां – शेरवानी के अन्दर जनेऊ

masood alam falahi

  मसूद आलम फलाही (Masood Alam Falahi) मौलाना मुहम्मद क़ासिम सिद्दीक़ी नानौतवी के गुरु मौलाना ममलूक अली नानौतवी के शिष्य1 सर सय्यद अहमद खां (1817-1898) जिन्होंने क़ुरान मजीद की तफ़सीर (अनुवाद) लिखी और अलीगढ़ में (1875) में “मोहम्मडन एंग्लो ओरिएण्टल कॉलेज (मदरसा-तुल-उलूम)” खोला जो 1920 में ‘अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी’ में परिवर्तित हो गया. वो शैक्षिक मिशन रुपी नाव के मल्लाह थे […]

दरअसल बाबरी मस्जिद पसमांदा समाज का मुद्दा है ही नहीं

Shafiullah Anis

  शफ़ीउल्लाह अनीस (Shafiullah Anis) हर समाज के अपने मुद्दे होते हैं। जिस तरह से विकसित देश के मुद्दों को पहली दुनिया की समस्या (first world problems) कहा जाता हैं और विकासशील देशों के मुद्दों को तीसरी दुनिया की समस्या (third world problems) कहा जाता हैं, उसी तरह पसमांदा समाज और अशराफ समाज के मुद्दे भी अलग अलग हैं। अमेरिका […]

हक़ की बात समाज को बांटने वाली बात भला कैसे हो गई?

Faiyaz Ahmad Fyzie

  फ़ैयाज़ अहमद फ़ैज़ी (Faiyaz Ahmad Fyzie) अशराफ अक्सर पसमांदा आंदोलन पर मुस्लिम समाज को बांटने का आरोप लगाकर पसमांदा आंदोलन को कमज़ोर करने की कोशिश करता है। जिसके चपेट में अक्सर पसमांदा आ भी जाते हैं। जबकि पसमांदा आंदोलन एक वंचित समाज को मुख्यधारा में लाने की चेष्टा, सामाजिक न्याय का संघर्ष, हक़ अधिकार की प्राप्ती का प्रयत्न है। […]

एक अनपढ़ दलित लेखक का बौद्धिक सफ़र

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  प्रज्ञा चौहान (Pragya Chouhan) समाज का एक व्यक्ति जिसे तीसरी कक्षा की पढाई बीच ही में छोड़नी पड़ गई हो, और वह अपने जीवन में 20 किताबों को बहुजन आन्दोलन की झोली में डालकर एक साहित्यकार की उल्लेखनीय भूमिका अदा करे और 9 सम्मान चिन्हों से उसे नवाज़ा जाये, ये बात बेशक ध्यान खींचती है. यह व्यक्ति थे मध्यप्रदेश […]

विज्ञान के उपभोग में अग्रणी लेकिन दिमाग पत्थर युगी

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  संजय जोठे (Sanjay Jothe) कल ट्रेन में सफर के दौरान चार युवा इंजीनियर्स से बात करने का मौका मिला। चारों एक दूसरे से परिचित होते हुए अपनी पढ़ाई, कमाई, अनुभव, कम्पनी आदि का बखान कर रहे थे। जाहिर हुआ कि चारों देश की सबसे अच्छी सॉफ्टवेयर कम्पनियों में कार्यरत हैं, दो पुणे में एकसाथ है दूसरे दो मुम्बई एकसाथ […]

… बताओ फूलन देवी, क्यों न उन्हें बनना पड़े?

bal gangadhar bagi

  बाल गंगाधर बागी (Bal Gangadhar Bagi) बाल गंगाधर बागी बहुजन आन्दोलन के कारवां में, एक कवि के रूप में, नया हस्ताक्षर हैं. अपने समाज की  दशा और दंश के लम्बे इतिहास को अपनी कविताओं के माध्यम से बयाँ करते हैं. यह जानना हमेशा दिलचस्प रहता है कि कला के झरोंखे से अपनी जड़ों ,आसपास बने और बदलते हालातों और […]

मुस्लिम तुष्टिकरण का सच

Faiyaz Ahmad Fyzie

  फ़ैयाज़ अहमद फैज़ी भारत देश की जलवायु भूमि और भौतिक सम्पदा से आकर्षित हो कर बहुत सारे आक्रमणकारी, व्यापारी और पर्यटक यहाँ आए। कुछ ने सिर्फ व्यापार तक ही खुद को सीमित रखा, कुछ लूट पाट करके वापस हो गए, कुछ ने व्यापार के साथ अपना राजनैतिक स्वार्थ भी सिद्ध किया, कुछ ने सिर्फ थोड़े समय के लिए निवास […]

बनावटी अपराधबोध का निर्माण और इसे ख़ारिज करने की आवश्यकता

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सुरेश आर वी (Suresh RV) ‘यह आलेख उन दलित-बहुजन युवाओं के लिए लिखा गया है जिनके मन में इस बात को लेकर confusion रहता है कि आरक्षण लेना चाहिए अथवा नही. या कि वे आरक्षण के वास्तविक पात्र हैं भी कि नही? क्योंकि एक समय अपने जीवन में मैं भी इसी शंका, अपराधबोध और असुरक्षा से ग्रसित था. इसलिए इस […]

…ये सबसे सुरक्षित और सबसे कारगर काम है

sanjay jothe2

  संजय जोठे  (Sanjay Jothe) भारत के दलितों आदिवासियों, ओबीसी (शूद्रों) और मुसलमानों को मानविकी, भाषा, समाजशास्त्र, दर्शन इतिहास, कानून आदि विषयों को गहराई से पढने/पढाने की जरूरत है. कोरा विज्ञान, मेडिसिन, मेनेजमेंट और तकनीक आदि सीखकर आप सिर्फ बेहतर गुलाम या धनपशु ही बन सकते हैं, अपना मालिक और अपनी कौम के भविष्य का निर्माता बनने के लिए आपको […]