0 0
Read Time:4 Minute, 7 Second

उमा सैनी (Uma Saini)

पानी की लड़की और नीला रंग

माँ !
तुम्हारे आँसुओं के समन्दर से बनी
मैं पानी की लड़की
जो हर छोटे दुख पर भीग जाया करती हूँ।
वर्षों तक तुमने जो विष पिया
उसके नीले थक्के जब तुम्हारी देह पर देखे मैंने
तब जाना की क्यों नीला होता है समन्दर !
तुम्हारी देह के नीले थक्के मुझे अपनी देह पर
क्यों महसूस होते हैं?
क्या इसीलिए सिखाया था मुझे किनारों पर चलना?
तुम कितनी अंजान थी मेरे सपनों से
तुम्हें मालूम भी नहीं
कि बारिश कितनी पसंद थी मुझे
इतनी कि मैं खुद बारिश होने के ख़्वाब देखने लगी थी
जब भी बारिश आती
मुझे महसूस होता
जैसे ब्रह्माण्ड की सारी तितलियाँ
मेरी शिराओं में प्रवेश कर गईं हैं
जैसे मेरे हृदय में उग आए हों
दुनिया के सबसे सुगंधित फूल
जैसे मेरी साँसें
इत्र घोल रही हों हवा में
मगर न जाने क्यों
एक कड़कती धूप दोपहरी में
अपने बारिश होने की संभावनाओं पर सोचते हुए
याद आया तुम्हारी देह का नीला रंग
और मैंने चाहा कि
ब्रह्माण्ड की सारी तितलियों
दुनिया के सभी सुगंधित फूलों
और पृथ्वी की सारी खुशबुओं की एक पोटली बांधकर
फेंक आऊँ अंतरिक्ष में कहीं
या गाड़ दूँ ज़मीन के आख़िरी छोर पर !
माँ !
तुम, जो कभी मेरी तरह पानी की लड़की थी
क्या तुमने भी चाहा ऐसा?

अंतराल

लगभग साढ़े-तीन अरब साल पहले
पानी ने खोज लिया था
मिट्टी को
इस ब्रम्हांड में

कौन जाने कितने मील
नंगे पाँव दौड़ा होगा पानी
मिट्टी से मिलने को
हर बार रूप बदलकर
मिट्टी से ही मिलने आता रहा पानी

पृथ्वी पर सारे झरने
उन जगहों पर हैं
जहाँ मिट्टी और पानी
हाथों में हाथ डालकर
घंटों बातें किया करते थे

सारी नदियाँ वहाँ बहती हैं
जहाँ
मिट्टी और पानी की
उन दो जोड़ी आँखों ने देखा था
एक सपना
साथ चलने का

जिन–जिन स्थानों पर
मिट्टी और पानी ने
गाई थीं ग़ज़लें
घोर नीरवता के क्षणों में
वहाँ उग आए पौधे;

आद्यन्त पानी की प्यास को
बुझाया है मिट्टी ने ही
मिट्टी की आँखों में साँस लेती
गहराइयों से
जान सका था पानी
अपनी अथाह प्यास को

कितने आदिम आधार से चाहा था
मिट्टी ने पानी को
और कितनी नूतन संभावनाओं से भर दिया था
पानी ने मिट्टी को

गीली मिट्टी से उठती हुई
प्रेम की सौंधी गन्ध
जीवन के प्रति एक आश्वासन है

किसे मालूम कि एक दिन
नहीं खोज लूँगी मैं तुम्हें
जैसे दिशाहीन पानी ने खोज लिया था मिट्टी को

स्वप्नों की पगडंडियों से होते हुए
कितना सरल है
पार करना
यह छोटा–सा अंतराल
सिर्फ़ साढ़े-तीन अरब साल।

~~~

उमा सैनी दिल्ली विश्विद्यालय से ‘समकालीन हिंदी स्त्री कविता: भाषा एवं लैंगिक बोध’ विषय पर पी.एच.डी. कर रही हैं।

Magbo Marketplace New Invite System

  • Discover the new invite system for Magbo Marketplace with advanced functionality and section access.
  • Get your hands on the latest invitation codes including (8ZKX3KTXLK), (XZPZJWVYY0), and (4DO9PEC66T)
  • Explore the newly opened “SEO-links” section and purchase a backlink for just $0.1.
  • Enjoy the benefits of the updated and reusable invitation codes for Magbo Marketplace.
  • magbo Invite codes: 8ZKX3KTXLK
Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

One thought on “पानी की लड़की और नीला रंग (कविताएँ)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *