कण कण से अब ये रण होगा भगवा द्वंद अब कम होगा,नीला रण तगण अब होगा,मूलतत्व जब सब होगा,जितने धोखे-मृत किये,सबका हिसाब अब होगा,न होगा भगवा राह में,जब नील क्रांति का बिगुल होगा। – माहे “रोहित वेमुला” सिर्फ अकेला नाम नही है जो इस साम्राज्यवाद, राजनीति और जातिवाद का शिकार हुआ| आज रोहित एक ऐसे अनंत सफ़र पर जा […]
राजस्थान उच्च न्यायलय में मनु की मूर्ति:न्याय के मंदिर में अन्याय के प्रतीक को सम्मान ?
हरीश परिहार इंसाफ की उम्मीद पर एक अमानवीय धब्बा है मनु की मूर्ति क्या ऐसी अदालत से इंसाफ की उम्मीद की जा सकती है जिसके परिसर में इंसाफ की आस में जाने वालों को अन्याय का एक प्रतीक हर वक्त मुंह चिढ़ा रहा हो? राष्ट्र-निर्माता डॉ बाबा साहब भीमराव आम्बेडकर ने 25 दिसम्बर 1927 के दिन महाराष्ट्र के महाड़ में […]
रामविलास शर्मा की लेखनी में डॉ आंबेडकर: एक आलोचनात्मक समीक्षा
हिन्दी साहित्य-जगत के प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ रामविलास शर्मा अपनी प्रग्तीशीलता और मार्कस्वाद के प्रति अपनी निष्ठा के लिए जाने जाते हैं। इन्होने कमजोर तबको के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाने की भरपूर कोशिश भी की है किन्तु इनकी लेखनी पर नज़र डालने पर हमे शर्मा जी की असलियत पता चलती है। इन्होने मार्क्स्वाद को चोला ओढ़कर बड़े शातिर तरीके से दक्षिणपंथी […]
‘बाबासाहब अंबेडकर मेरे लिए क्या मायने रखते हैं ‘ शीर्षक पर लेख आमन्त्रित हैं
Round Table India बाबा साहिब के जीवन और उनकी उपलब्धियों को मनाने के लिए किसी ख़ास अवसर की ज़रूरत नहीं है, उनका उदय एक चेतना और जन-मानस के एक नैतिक लंगर के रूप में हुआ। एक संगीतमय परम्परा उनके जीवन के प्रतिपादन की जो उनके जन्म से शुरू होते हुए, महाड़ में अपना रूप लेते हुए, पूना पैक्ट, गोल मेज़ सम्मलेन, […]
शुक्रिया बाबा साहेब
Gurinder Azad गुरिंदर आज़ाद शुक्रिया बाबा साहेब !आपके चलतेहमें किसी से कहना नहीं पड़ताकि हम भी इंसान हैं ! उनके अहं को जो भी हो गवारालेकिन अब तस्दीक हो चुका हैकि बराबरी थाली में परोस कर नहीं मिलतीआबरू की धारा किसी वेद से नहीं निकलतीबड़ा बेतुका हैकल्पना करके सोनासुबह अलग सा कोई नज़ारा होगाया धीरे धीरे सब सही हो जायेगाअपनेआप […]
राउंड टेबल इण्डिया के बारे में
‘अगर अछूत और दलित आवाज़ न उठाएँ, तो हिन्दुओं को उनकी हालत से कोई फर्क नहीं पड़ता है और वे पूरी तरह से उदासीन बने रहते हैं. चाहे दलित हजारों लाखों की संख्या में हों, वो कोई जहमत नहीं उठाते. लेकिन अगर अछूत खड़े हों और अस्तित्व के लिए लड़ें, तो वे उनकी पहचान नकारने के लिये तैयार बैठे रहते […]